भिलाई(सीजीआजतक न्यूज). गरीबों के लिए बनाए जाने वाले प्रधानमंत्री आवास को अवैध जमीन पर निर्मित बताकर तोडऩे का अपने तरह का मामला सामने आया है। यह कारनामा छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले के उतई नगर पंचायत प्रशासन का बताया जा रहा है। पीएम आवास को तोडऩे के पहले इसे स्वीकृत देने वाले, निर्माण के दौरान मौका निरीक्षण करने वाले सहित योजना से जुड़े तमाम अधिकारी और कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में सरकारी राशि का दुरुपयोग करने वाले जिम्मेदार कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई होगी और गरीब हितग्राही को न्याय मिल पाएगा यह सबसे बड़ा सवाल है?
आबादी भूमि 970/1 पर प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत
जानकारी के मुताबिक नगर पंचायत उतई वार्ड-तीन अंतर्गत नेत्रहीन महिला दुर्गी बाई पति रामेश्वर साहू के नाम आबादी भूमि 970/1 पर प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत कर मकान बनाया गया था। निर्माण के पहले पटवारी ने मौका निरीक्षण कर नक्शा खसरा दिया था। इसके बाद वहां प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत कर वहां पर मकान बनाया गया।
कब्जा दिलाने के बजाए बगल का निर्माण तोड़ दिया
चूंकि उक्त भूमि से लगा पुराना खसरा नम्बर 356/5 जवरीलाल पारख के नाम की भूमि लंबे समय तक चली न्यायालयीन कार्यवाही के बाद वारिसान प्रफुल्ल पारख के नाम हक में 21 बाई 64 की भूमि खाली करवा कर कब्जा देने का आदेश नायब तहसीलदार दुर्ग ने दिया था। इसके परिपालन में मौका निरीक्षण कर कब्जा दिया जाना था। किंतु उक्त आदेशित भूमि के बाहर बने एक नेत्रहीन महिला के प्रधानमंत्री आवास को तोड़ दिया गया।
पीएम, सीएम और कलेक्टर से शिकायत
पीडि़त महिला को न्याय दिलाने नगर के सामाजिक कार्यकर्ता सतीश पारख के इसकी शिकायत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कलेक्टर सहित राजस्व विभाग के अधिकारियों से की है। उन्होंने पीएम आवास स्वीकृत कराने वाले नगर पंचायत के अधिकारी-कर्मचारी सहित राजस्व विभाग के तमाम जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई कर सरकारी राशि की वसूली वेतन से करने और पीडि़त नेत्रहीन महिला का आवास फिर से बनाने की मांग की है।
सुलगते सवाल
पीएम आवास की स्वीकृति किसने दी? मौका निरीक्षण व सर्वे किसने किया? कौन जिम्मेदार-नगर पंचायत/पटवारी/आरआई या तहसीलदार? क्या दोषी व्यक्ति पर होगी कानूनी कार्रवाई?