हमारी भी सुनो छत्तीसगढिय़ा सरकार, पत्रिका कर्मचारियों की करुण पुकार

दुर्ग/भिलाई(सीजीआजतक न्यूज). कोरोना संक्रमण लॉकडाउन के दौरान पत्रिका समाचर पत्र में कार्यरत कर्मचारियों को काम से निकाले जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। निकाले गए कर्मचारियों ने राज्य की छत्तीसगढिय़ा सरकार से न्याय की गुहार लगाई है। कर्मचारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद भी पत्रिका प्रबंधन ने कोरोना लॉकडाउन में सिर्फ छत्तीसगढिय़ा कर्मचारियों को ही काम से निकाला है। ऐसे कर्मचारियों का कहना है कि पत्रिका प्रबंधन ने सिर्फ स्थानीय और छत्तीसगढिय़ा कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण की आड़ में बाहर का रास्ता दिखाया है। इनमें ऐसे भी कर्मचारी है जो समाचार पत्र लांचिंग के पहले पुराने बेहतर संस्थान को छोड़कर पत्रिका में काम शुरू किया था।

छत्तीसगढ़ी सीएम के राज्य में भी शोषण जारी
पीडि़त कर्मचारियों ने कहा है कि अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष भूपेश बघेल पृथक राज्य बनते ही छत्तीसगढियों का राज, छत्तीसगढिय़ों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। वे छत्तीसगढिय़ों के हितों के संरक्षण की बात अक्सर दोहराया करते थे। वे बड़े मंचों में भी कहते रहे कि जब कांग्रेस की सरकार आएगी और हम निर्णय लेने की स्थिति में आएंगे तो इस पर प्राथमिकता से अमल करेंगे। सौभागय से आज उनकी (कांग्रेस) की सरकार और वे राज्य के मुखिया है। पीडि़त कर्मचारियों ने कहा है कि भूपेश बघेल सीएम बनने के पहले भी छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढिय़ा के हितों के लिए लागातार संघर्ष करते रहे हैं। कर्मचारियों को उम्मीद है कि वे छत्तीसगढ़ के मीडिया कर्मचारियों की पीड़ा को महसूस कर उन्हें न्याय दिलाएंगे।
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एक भी गैर छत्तीसगढिय़ा को काम ने नहीं निकाला

बता दें कि पत्रिका प्रबंधन ने आधा सैकड़ा कर्मचारियों को बाहर का रास्त दिखा दिया है। इनमें अधिकतर छत्तीसगढ़ राज्य के ही हैं। वहीं मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित राजस्थान राज्य के एक भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला गया है। यह पत्रिका प्रबंधन के दोहरे मापदंड(भीतरी-बाहरी) को उजागर करता है। काम से निकाले गए कर्मचारियों ने अपनी व्यक्गित दुश्मनी लेकर पत्रिका समाचार पत्र को राज्य में स्थापित करवाया है। अब वे कर्मचारी कहीं के नहीं रहे। उनकी स्थिति बड़ी दयनीय हो गई है। पत्रिका प्रबंधन ने राज्य में पैर जमाने के बाद उसे निकाल दिया, जिसने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। छत्तीसगढियों की बदौलत बीते 10 सालों तक करोड़ों का राजस्व कमाने के बाद बाहरी लोगों को मोटी तनख्वाह पर रखे गए हैं। यह भी बताना जरुरी है कि पत्रिका प्रबंधन ने स्थानीय लोगों की बदौलत राज्य में पांव जमाने के बाद (शुरू से ही) बाहरी लोगों को महत्व दिया है। तीन बड़े एडिशन सहित राज्य के सभी बड़े ओहदे पर बाहरी लोगों को रखा गया है। बीते 10 साल में एक भी स्थानीय व्यक्ति को संपादक नहीं बनाया गया है। राज्य में पैर जमाने के बाद स्थानीय कर्मचारियों को कोरोना लॉकडाउन की आड़ में बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

रायपुर के अधिकतर कर्मचारी बाहरी
यहां यह भी बताना जरुरी है कि पत्रिका प्रबंधन ने पूरे राज्य के विभिन्न संस्करणों और जिलों से स्थानीय कर्मचारियों को बाहर निकाला है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि रायपुर के एक भी कर्मचारी को काम से नहीं निकाला गया है। वहां के अधिकतर कर्मचारी राजस्थान सहित उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के हैं। वहां भी छत्तीसगढिय़ों की संख्या न के बराबर है।

काम से निकाले गए कर्मचारियों की संख्या

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पत्रिका प्रबंधन ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को छोड़कर दुर्ग संभाग के पांच संस्करण भिलाई, बालोद, बेमेतरा, कवर्धा और राजनांदगांव के कुल 25 कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया है। इसी तरह बिलासपुर जिले के 12, जगदलपुर -5, कोरबा -5, अंबिकापुर -7 और रायगढ़ के -4 कर्मचारी शामिल है।

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