दुर्ग/भिलाई(सीजीआजतक न्यूज). प्रधानमंत्री ने कहा था कि कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन के दौरान किसी कर्मचारियों को नौकरी (काम) से बाहर नहीं निकाला जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा के विपरीत देश के नामी मीडिया ग्रुप राजस्थान पत्रिका समाचार प्रबंधन ने कोरोना काल में ही सैकड़ों लोगों को सड़क पर ला दिया है। पूरे देश में कोरोना लॉकडाउन के दौरान पत्रिका प्रबंधन ने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। जबकि ऐसे समय में कर्मचारियों को प्रबंधन के सहारे की और ज्यादा जरुरत थी। यह मामला छत्तीसगढ़ राज्य का है। जहां के आधा सैकड़ा कर्मचारियों को पत्रिका प्रबंधन ने बारी-बारी से काम से निकाल दिया। ऐसे कर्मचारियों के समक्ष गंभीर आर्थिक समस्या पैदा हो गई। कर्ई कर्मचारियों को बीमार बुजुर्ग माता-पिता के दवाई खरीदने के लाले पड़ गए हैं तो कईयों को बच्चों के स्कूल और ऑनलाइन ट्यूशन के भुगतान की समस्या हो गई। कई कर्मचारियों को परिवार का भरण पोषण के लिए आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
भिलाई एडिशन के 20 कर्मचारियों के अलावा दुर्ग संभाग के कर्मचारी शामिल
ताजा मामला छत्तीसगढ़ राज्य का है जहां के आधा सैकड़ा कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण लॉकडाउन के दौरान बिना नोटिस दिए और बिना कारण बताए काम से बाहर निकाल दिया गया है। इनमें छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों और संस्करणों के कर्मचारी शामिल हैं। यहां पत्रिका के तीन एडिशन, राज्य की राजधानी रायपुर सहित संस्कारधानी बिलासपुर जिला और सुदूर वनांचल बस्तर के जगदलपुर जिला शामिल है। तीनों जगह पत्रिका का छापाखाना है। रायपुर संस्करण के तहत भिलाई एडिशन के 20 कर्मचारियों के अलावा दुर्ग संभाग के अंर्तगत आने वाले बेमेतरा, कवर्धा (कबीरधाम) सहित राजनांदगांव संस्करण के कर्मचारी शामिल है। ऐसे कर्मचारियों ने सहायक श्रम आयुक्त के यहां बिना कारण काम से निकाले जाने की शिकायत की है। कर्मचारियों की शिकायत पर एएलसी दुर्ग ने पत्रिका प्रबंधन को नोटिस जारी किया है। निकाले गए कर्मचारियों ने बताया कि उनकी शिकायत पर एएलसी ने रायपुर एडिशन के राज्य संपादक के नाम नोटिस जारी कर 22 अक्टबूर को पक्ष रखने कहा है। अब देखना यह है कि प्रबंधन की ओर से निकाले गए कर्मचारियों के संबंध में क्या जवाब/सफाई दी जाती है? निकाले गए कर्मचारियों को एएलसी के यहां सुनवाई तिथि का इंतजार है।
अन्य संस्करण के कर्मचारी भी कोर्ट जाने की तैयारी में
जानकारी के अनुसार के भिलाई (संस्करण) कार्यालय के अलावा राज्य के अन्य एडिशन और जिलों के निकाले गए कर्मचारी भी कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे है। ऐसे में आने वाले दिनों में पत्रिका प्रबंधन को राज्य में कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाना पड़ सकता है।
मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिश लागू करने की मांग
एएलसी की शरण में पहुंचे कर्मचारियों ने नौकरी में वापस लिए जाने के बाद मजीठिया वेजबोर्ड के अनुरूप वेतन की मांग को लेकर लेबर कोर्ट में परिवाद दायर करेंगे। वर्ष 2012 से लागू मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार 2020 में कोरोना काम में निकाले गए कर्मचारी लगभग 8 साल के बीच अंतर की राशि भुगतान होने तक संघर्ष करेंगे।