मध्य प्रदेश विधानसभा में सदस्यों की संख्या से 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बनाए जाने पर दी गई है। इस मामले पर मध्य प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट में एनपी प्रजापति ने मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल के सदस्य संख्या को चैलेंज किया है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव को किया है।
एमपी के पूर्व स्पीकर एमपी प्रजापति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
एमपी के पूर्व स्पीकर एमपी प्रजापति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामला उठाया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि वर्तमान विधानसभा सदस्यों की संख्या के मुताबिक 34 मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं। विधानसभा में जितनी सदस्य संख्या है, उसके हिसाब से विधानसभा सदस्यों की 15% संख्या से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं। ये वैधानिक व्यवस्था है। लेकिन में तय संख्या से ज़्यादा मंत्री बनाए गए हैं।
पीठ ने कहा- वह नोटिस जारी कर रही है और मामले की सुनवाई करेगीइस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और अधिवक्ता वरुण तन्खा और सुमेर सोढ़ी ने प्रजापति की पैरवी करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल में 28 मंत्रियों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 164 (1 ए) के स्पष्ट उल्लंघन है। पीठ ने कहा कि वह नोटिस जारी कर रही है और मामले की सुनवाई करेगी।