लद्दाख से लेकर दक्षिण चीन सागर तक चीन के साथ चल रहे जबर्दस्त तनाव के बीच अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ड्रैगन को उसके घर में ही घेरने में जुट गए हैं। तीनों देशों ने 12 फाइटर जेट और 9 जंगी जहाजों के साथ फिलीपीन्स सागर में जोरदार युद्धाभ्यास शुरू किया है। इसी समुद्री क्षेत्र के अधिकतर हिस्से पर चीन अपना दावा करता है। भारत के साथ अंडमान निकोबार में युद्धाभ्यास के बाद अब अमेरिका ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ इस अभ्यास के जरिए ड्रैगन को संदेश दिया है कि ‘क्वाड’ अब बस एक कदम ही दूर है।
फिलीपीन्स सागर में हुए इस युद्धाभ्यास में अमेरिका का परमाणु ऊर्जा से चलने वाले एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनॉल्ड रीगन समेत जापान और ऑस्ट्रेलिया के कुल 9 युद्धपोत शामिल हुए। यूएसएस रोनाल्ड रीगन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप एक अन्य अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस निमित्ज के साथ दक्षिण चीन सागर और फिलीपीन्स सागर में पिछले कई दिनों से अभ्यास कर रहा है। इस पूरे अभ्यास में कहीं भी चीन का नाम नहीं लिया गया है। अमेरिका ने इस अभ्यास के जरिए स्पष्ट संकेत दिया है कि हिंद महासागर में भारत और प्रशांत महासागर में जापान और ऑस्ट्रेलिया उसके अहम सहयोगी होंगे।
यूएसएस रोनाल्ड रीगन ने अब जापानी डेस्ट्रायर और ऑस्ट्रेलिया टॉस्क फोर्स के साथ युद्धाभ्यास शुरू किया है। अभ्यास में हिस्सा ले रहे ऑस्ट्रेलिया की नौसेना के कोमोडोर माइकल हैरिस ने कहा, ‘अमेरिका और जापान के साथ काम करने का अवसर अनमोल है।’ उन्होंने कहा कि समुद्र के अंदर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि नौसेनाओं के बीच भरपूर सहयोग हो। इस अभ्यास ने तीनों देशों की नौसेनाओं के बीच उच्च स्तर की क्षमता को प्रदर्शित किया है।
जापान के कैप्टन सकानो यूसूके ने कहा कि अमेरिका और जापान की नौसेना के साथ संबंधों को मजबूत करने को मैं अपने देश के लिए बेहद अहम मानता हूं। यह इंडो-पैसफिक इलाके की स्वतंत्रता में मदद करेगा। यह युद्धाभ्यास 19 जुलाई को शुरू हुआ है। इस दौरान सभी तरह के माहौल में युद्ध कला का अभ्यास किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि युद्धाभ्यास के दौरान समुद्र के अंदर बिछाई गई बारुदी सुरंगों के पता लगाने और सूचनाओं को साझा करने का अभ्यास किया जाएगा।
लद्दाख में चीन की नापाक हरकत के बाद अब भारत ही नहीं दुनियाभर में ऐसी मांगे उठने लगी हैं कि चीन ने भारत को घेरने के लिए ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ बनाया है और भारत को भी ‘क्वॉड’ को मजबूत कर इसे ‘एशियाई नाटो’ का रूप देना चाहिए। द क्वॉड्रिलैटरल सिक्यॉरिटी डायलॉग (क्वॉड) की शुरुआत वर्ष 2007 में हुई थी। हालांकि इसकी शुरुआत वर्ष 2004-2005 हो गई जब भारत ने दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में आई सुनामी के बाद मदद का हाथ बढ़ाया था। क्वाड में चार देश अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं। मार्च में कोरोना वायरस को लेकर भी क्वॉड की मीटिंग हुई थी। इसमें पहली बार न्यूजीलैंड, द. कोरिया और वियतनाम भी शामिल हुए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि एशिया में चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए इस समूह का गठन हुआ है। इस समूह के गठन के बाद से ही चीन चिढ़ा हुआ है और लगातार इसका विरोध कर रहा है।
बता दें कि दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। साउथ चाइना सी के विवादित क्षेत्र में चीन के 70 दिनों तक चलने वाले युद्धाभ्यास के जवाब में अमेरिका ने अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर और बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। अमेरिका की इस कार्रवाई से टेंशन में आए चीन ने भी अब अपने कृत्रिम द्वीपों पर फाइटर जेट तैनात कर दिए हैं। सैटलाइट से मिली तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने दक्षिण चीन सागर में विवादित वूडी द्वीप समूह पर बनाए गए हवाई ठिकाने पर 8 फाइटर जेट तैनात किए हैं। इनमें से 4 जे-11Bs हैं और बाकी बमवर्षक विमान तथा अमेरिकी युद्धपोतों को निशाना बनाने में सक्षम फाइटर जेट हैं।