दिल्ली का सर्वे रिजल्ट देश के लिए गुड न्यूज!

दिल्‍ली के सीरोलॉजिकल सर्वे के नतीजे आ गए हैं। नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) और दिल्‍ली सरकार के इस सर्वे में 22.86% लोगों में ऐंटीबॉडीज पाई गईं। 27 जून से 10 जुलाई के बीच हुआ सर्वे बताता है कि इन्‍फेक्‍टेड में से बड़ी संख्‍या एसिम्‍प्‍टोमेटिक लोगों की थी। यह नतीजे पूरे देश के लिए राहत भरी खबर है क्‍योंकि दिल्‍ली में पिछले महीने तक बहुत तेज रफ्तार से केसेज बढ़ रहे थे। दिल्‍ली की कोविड मॉनिटरिंग कमिटी के सदस्‍य डॉ डीके सरीन कहते हैं कि लोगों में हर्ड इम्‍यूनिटी डेवलप हुई है। उनके मुताबिक, हर्ड इम्‍यूनिटी डेवलप होने से आने वाले दिनों में नए केसेज घटते जाएंगे। डॉ सुमित रे भी कहते हैं कि हो सकता है कि कुछ इलाकों में लोगों ने हर्ड इम्‍यूनिटी डेवलप कर ली हो। इस सीरो सर्वे में दिल्‍ली वालों के लिए सबसे बड़ी बातें क्‍या हैं, आइए जानते हैं।

दिल्‍ली के सीरो सर्वे ने यह बता दिया है कि करीब एक-चौथाई लोगों को बिना किसी परेशानी के कोरोना से इम्‍यूनिटी मिल चुकी है। उन्‍हें किसी वैक्‍सीन की जरूरत नहीं है। यानी ये लोग अब बिना किसी रुकावट के बाहर आ-जा सकते हैं। दिल्‍ली जैसा इलाका जहां जून में इतने बड़े पैमाने पर कोरोना फैला था, वहां एक-चौथाई आबादी का इम्‍यूनिटी हासिल करना बड़ी बात है। ऐसा ही ट्रेंड अगर बाकी देश में रहा तो करीब 34-38 करोड़ लोगों में इम्‍यूनिटी डेवलप हो चुकी होगी। एक टीवी चैनल से बातचीत में डॉ सरीन ने भी कहा कि यह डेटा पूरे देश के लिए बड़ा अच्‍छा संकेत है। उन्‍होंने कहा कि सितंबर तक केसेज की संख्‍या खासी कम हो जाएगी। ICMR ऐसा ही सर्वे पूरे देश में कर चुका है। दिल्‍ली में लोकल लेवल पर सर्वे किया गया है। इसी तरह अलग-अलग इलाकों में संक्रमण के आधार पर सीरो सर्वे किया जा सकता है जिससे कितने लोगों में इम्‍यूनिटी डेवलप हुई है, इसका पता चल जाएगा।

दिल्‍ली के हेल्‍थ मिनिस्‍टर सत्‍येंद्र जैन ने कहा है कि सरकार ने हर महीने सीरो सर्विलांस कराने का फैसला किया है। हर महीने एक से पांच तारीख के बीच, चुनिंदा इलाकों में रैंडमली लोगों का ऐंटीबॉडी टेस्‍ट किया जाएगा। इससे दिल्‍ली में कोरोना के प्रसार को समझने में आसानी होगी।

सीरो सर्वे के आंकड़े दिखाते हैं कि कोरोना का प्रकोप सबसे ज्‍याद सेंट्रल और नॉर्थ-ईस्‍ट दिल्‍ली में देखने को मिला है। यहां पर सीरो प्रिवेलेंस रेट 28 फीसदी से ज्‍यादा पाया गया।

दिल्‍ली के 11 जिलों में से 8 का सीरो प्रिवेलेंस 20 प्रतिशत से ज्‍यादा था। सेंट्रल, नॉर्थ-ईस्‍ट और शाहदरा में 27% से ज्‍यादा प्रिवेलेंस मिली। जून में रोज औसतन 3,900 केस दर्ज होने के बाद, दिल्‍ली में मंगलवार को पहली बार 1,000 से कम केस (954) दर्ज किए गए।

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NCDC डायरेक्‍टर डॉ सुजीत कुमार सिंह के मुताबिक, दिल्‍ली के 77 पर्सेंट लोगों को अब भी खतरा है। उन्‍होंने कहा, “उसी जोश से कंटेनमेंट के उपाय जारी रहने चाहिए। फिजिकल डिस्‍टेंसिंग, फेस मास्‍क का यूज, हैंड हायजीन और खांसते वक्‍त नियमों का पालन जरूर होना चाहिए।”

सिंह के मुताबिक, “महामारी के करीब छह महीने गुजर जाने के बाद, सिर्फ 22.86% लोग प्रभावित हैं। इसके पीछे इन्‍फेक्‍शन रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन और अन्‍य कंटेनमेंट उपायों को वजह माना जा सकता है।

नीति आयोग के सदस्‍य और कोविड-19 रेस्‍पांस टीम के मुख‍िया डॉ विनोद पॉल के मताबिक, ICMR ने पहले जो सीरो सर्वे किया था, उसमें दिल्‍ली में 9-11% प्रिवलेंस थी। अब जिस आबादी में सर्वे हुआ, वहां केसेज ज्‍यादा थे। ऐसे में जो आंकड़े आए हैं, डॉ पाल के अनुसार, वह यह दिखाते हैं कि जो कदम उठाए गए, उनका असर हुआ है।

डॉ पॉल इस बात को कहने में जरा भी नहीं हिचके कि दिल्‍ली कोरोना का पीक देख चुकी है। उन्‍होंने कहा कि इन्‍फेक्‍शन मॉनिटर करने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि वायरस बिना ऐंटीबॉडी वाले लोगों को ‘पसंद’ करता है इसलिए सावधानी बरती चा‍नी चाहिए।

डॉ सुजीत सिंह के मुताबिक, कोविड मरीजों के इलाज में RT-PCR और रैपिड ऐंटीजेन टेस्‍ट मददगार हैं। जबकि ऐंटीबॉडी टैस्‍ट किसी आबादी में इन्‍फेक्‍शन के फैलाव को जांचने में इस्‍तेमाल होते हैं। सर्विलांस नेटवर्क से एसिम्‍प्‍टोमेटिक केसेज समेत कुछ लोग बच जाते हैं, इससे आबादी में वायरस कितना फैला है, पता नहीं चलता। सीरो सर्वे से आबादी में इन्‍फेक्‍शन का अंदाजा मिलता है।

हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री के मुताबिक, बढ़ी टेस्टिंग से केसेज को पहले पहचानने में मदद मिली, कॉन्‍टैक्‍ट ट्रेसिंग और पॉजिटिव केसेज के आइसोलेशन से ट्रांसमिशन में कमी आई। जून के पहले हफ्ते में दिल्‍ली के भीतर रोज 9,500 टेस्‍ट्स हो रहे थे और पॉजिटिविटी रेट 37% था। वहीं, जुलाई पहले हफ्ते में डेली 25 हजार से ज्‍यादा टेस्‍ट्स हुए और पॉजिटिविटी रेट घटकर 9% पा गया।

हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स की मानें दिल्‍ली में कोरोना वायरस महामारी के नए मामले अब दिन-ब-दिन कम होते जाएंगे। कोविड मॉनिटरिंग कमिटी के सदस्‍य डॉ डीके सरीन ने कहा, “ऐसा लगता है दिल्‍ली में बीमारी तेजी से फैली। कई लोग एसिम्‍प्‍टोमेटिक थे इसलिए रूटीन टेस्टिंग से पकड़ में नहीं आए।” देखें

दिल्ली में कोरोना पर एक्सपर्ट्स की खुशखबरी

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