दक्षिण-पश्चिम में ने स्कूलों में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध का ऐलान किया है। राज्य ने एक आदेश में कहा कि किसी भी स्वतंत्र समाज में चेहरे को ढका जाना सही नहीं है। यह राज्य पहले ही टीचर्स को बुर्के के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा चुका है।
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में लागू होगा कानून
बाडेन-वुर्टेमबर्ग के स्टेट प्रीमियर विनफ्रेड क्रॉस्टमैन ने कहा कि राज्य के स्कूलों में बहुत कम संख्या में ही लड़कियां बुर्का पहनती थी। लेकिन, इस प्रतिबंध के बाद अब पूर्ण रूप से इसपर पाबंदी लग सकेगी। उन्होंने कहा कि नया नियम राज्य में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में जाने वाली लड़कियों पर लागू होगा।
स्टेट प्रीमियर ने कहा- बुर्का मुक्त समाज का अंग नहीं
क्रॉस्टमैन ने कहा कि जर्मनी में रूढ़िवादी मुस्लिम महिलाएं और लड़कियां ही बुर्का पहनती थीं। यह किसी भी मुक्त समाज का अंग नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि इस कानून को विश्वविद्यालय स्तर पर लागू करने में कई अड़चने हैं। इसलिए उच्च शिक्षा को इस कानून से अलग रखा गया है।
लंबे समय से बुर्का बैन करने के पक्ष में थी सत्तारूढ़ पार्टी
जर्मनी की सत्तारूढ़ सीडीयू पार्टी के कई सदस्य लंबे समय से स्कूलों में बुर्का पहनने का विरोध करते रहे हैं। वहीं वामपंथी ग्रीन पार्टी इस मुद्दे पर बंटी हुई नजर आई। पार्टी के अधिकतक सदस्यों ने सीडीयू पार्टी के नेताओं के साथ बुर्के के प्रतिबंध का समर्थन किया। उन्होंने बुर्का और नकाब को महिलाओं के उत्पीड़न से जोड़ा। वहीं इस मुद्दे का विरोध कर रहे ग्रीन पार्टी के सदस्यों ने दलील दी कि इससे समाज में तनाव और नकारात्मक असर पड़ेगा।
कोर्ट के फैसले के बाद बना कानून
फरवरी में एक स्कूल के नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को स्थानीय कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इस प्रतिबंध के खिलाफ स्कूल की एक लड़की ने कोर्ट में अपील दायर की थी। जिसमें उसने कहा था कि स्कूल प्रशासन जबरदस्ती चेहरा को न ढकने का आदेश दे रहा है। हालांकि, अब कानून बनने के बाद बुर्का लगाने पर प्रतिबंध नहीं हटाया जा सकेगा।
कई देशों में बुर्के पर बैन
जर्मनी के पड़ोसी देश नीदरलैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रिया और डेनमार्क में बुर्का को लेकर अलग-अलग तरह के प्रतिबंध लागू हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि जर्मनी के कई अन्य राज्य भी इस कानून को अपने क्षेत्र में लागू कर सकते हैं।