शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों के खिलाफ दमनचक्र चलाने वाले ने अब ईसाइयों के खिलाफ तानाशाही फरमान जारी किया है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने आदेश दिया है कि ईसाई धर्म मानने वाले लोग अपने घरों से जीसस की तस्वीर और क्रास को हटाकर राष्ट्रपति जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग की फोटो लगाएं।
हजारों चर्चों में सरकार ने की तोड़फोड़
रेडियो फ्री एशिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन पहले से ही धार्मिक आजादी को कुचलने के लिए बदनाम है। इस आदेश के पहले ही सरकार ने हुबेई, जियांग्सु, झेजियांग, अन्शुई समेत कई राज्यों में स्थित हजारों चर्चों से जीजस की तस्वीरों और क्रास को हटवा दिया है। ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं कि चीनी सरकार के आदेश पर कई चर्चों में तोड़फोड़ भी की गई है। चीन में ईसाइयों की आबादी लगभग 7 करोड़ के आस-पास है।
ईसाई ही नहीं चीन के निशाने पर मुसलमान भी
चीन पर आरोप है कि उसने शिनजिंयाग प्रांत में रहने वाले लाखों उइगुर मुसलमानों को मानवाधिकार का हनन करते हुए उन्हें जबरन डिटेंशन कैंप में कैद कर रखा है। जबकि लाखों लोगों की विरोध के नाम पर गुपचुप तरीके से हत्या कर दी गई। इतना ही नहीं, उइगुर मुस्लिमों की चीन जबरन नसबंदी भी करवा रहा है। जिससे इनकी आबादी न बढ़ सके। चीन के ऊपर यह भी आरोप है कि वह उइगुर मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता खत्म कर चुका है।
पाकिस्तान समेत मुस्लिम देशों का क्या रूख
उइगुर मुसलमानों पर अत्याचार को लेकर अभी तक किसी भी मुस्लिम देश ने चीन का खुलकर विरोध नहीं किया है। दुनियाभर के मुसलमानों के मसीहा सऊदी अरब, तुर्की और पाकिस्तान के मुंह से उइगुरों को लेकर आज तक एक शब्द नहीं निकला है। ये सभी देश इस मामले में पड़कर चीन की दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहते। जबकि, धरती के दूसरे किसी भी हिस्से में मुसलमानों को लेकर इनका रवैया एकदम सख्त रहता है।
उइगुर मामले पर अमेरिका ने उठाया सख्त कदम
अमेरिका ने 9 जुलाई को उइगुर मुसलमानों के मानवाधिकार हनन के मामले में के तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया था। अमेरिका ने पहले ही चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। कहा जा रहा है कि अमेरिका आगे भी कई अन्य चीनी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का मन बना रहा है।