के नए संविधान के अनुसार, राज्य संघ या बोर्ड में छह साल के कार्यकाल के बाद तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाना अनिवार्य है। गांगुली और शाह ने पिछले साल अक्टूबर में पदभार संभाला था और तब उनके राज्य और राष्ट्रीय इकाई में छह साल के कार्यकाल में केवल 9 महीने बचे थे।
पढ़ें,
इस बीच बीसीसीआई ने 21 अप्रैल को शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर शाह और गांगुली के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की थी। बोर्ड चाहता है कि इन दोनों का कार्यकाल 2025 तक यानी 4 साल तक के लिए बढ़ा दिया जाए।
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान गांगुली बंगाल क्रिकेट बोर्ड (सीएबी) के 5 साल 3 महीने तक अध्यक्ष रह चुके हैं, जिसके कारण उनके पास BCCI चीफ के तौर पर 9 महीने का कार्यकाल ही बचा था। जय भी गुजरात क्रिकेट संघ में सचिव रह चुके हैं। कूलिंग ऑफ पीरियड नियम में छूट के बाद गांगुली और शाह अपने 3 साल का कार्यकाल पूरा कर सकते हैं।
शीर्ष अदालत में दायर इस याचिका में कहा गया है कि बोर्ड ने पिछले साल हुई एजीएम में 9 अगस्त 2018 से लागू कूलिंग ऑफ पीरियड में जाने के नियम में संशोधन कर अपने पदाधिकारियों के कार्यकाल को बढ़ाने की स्वीकृति दे दी है। संशोधन के मुताबिक, गांगुली और शाह पर कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाने का नियम तभी लागू होगा, जब वे बीसीसीआई में लगातार 6 साल पूरा कर लेते हैं।
पढ़ें,
इस महीने की शुरुआत में उस समय विवाद खड़ा हो गया जब बीसीसीआई में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की प्रतिनिधि अल्का रेहनी भारद्वाज (भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा अधिकारी) ने जय शाह के 17 जुलाई को BCCI एपेक्स की बैठक में भाग लेने पर आपत्ति जताई। इसकी वजह उनका कार्यकाल नए BCCI संविधान के अनुसार होना थी।
(एजेंसी से इनपुट)