कोरोना के संक्रमण काल के बीच यूपी में ईद-उल-अजहा यानि बकरीद () के रोज नमाज के लिए मस्जिदों और ईदगाह को खोलने के एसपी सांसद के बयान पर राजनीति शुरू हो गई है। एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के सांसद ने बकरीद (Bakr Eid) के मौके पर बाजारों को खोलने के साथ-साथ दुआ के लिए मस्जिदों को खोलने की वकालत की है, वहीं बीजेपी ने उनके बयान पर निशाना साधते हुए कोरोना के संक्रमण काल में घर पर रहकर नमाज पढ़ने की बात कही है।
दरअसल ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब सहारनपुर के सांसद शफीकुर्रहमान (shafiqur rehman barq) ने सरकार से मांग की कि बकरीद के मौके पर बाजारों और ईदगाहों को खोलने का इंतजाम किया जाए। मास गैदरिंग पर लगी रोक के बीच एसपी सांसद के इस बयान पर विवाद शुरू हो गया।
19 जुलाई को दिए बयान से शुरू हुआ हंगामा
शफीकुर्रहमान ने 19 जुलाई को कहा था, ‘बकरीद के मौके पर बाजारों को खोला जाना चाहिए ताकि लोग जानवर खरीद सकें। इसके साथ ही मस्जिद और ईदगाहों को भी लोगों के लिए खोला जाना चाहिए ताकि लोग कोरोना वायरस को खत्म करने की भी दुआ मांग सके।’ यही नहीं, एसपी सांसद ने यह भी कहा था, ‘कोरोना वायरस का अबतक कोई भी इलाज नहीं मिला है। इसका मतलब है कि कोरोना बीमारी नहीं बल्कि अल्लाह की ओर से हमें दी जा रही पापों की सजा है। सबसे अच्छा इलाज तो यही है कि हम अल्लाह से दुआ करें।’
बीजेपी ने कहा- नियमों का करना होगा पालन
वहीं ये मांग उठी तो बीजेपी के नेता इसपर प्रतिक्रिया देते हुए एसपी सांसद के बयान की आलोचना करते दिखे। बीजेपी के फायरब्रांड कहे जाने वाले सरधना विधायक संगीत सोम ने संभल के एसपी सांसद शफीक उर रहमान के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि प्रदेश में उनकी खाला की सरकार नहीं है। सरकार द्वारा कोविड 19 को गंभीरता से लेते हुए बनाए गए सभी नियमों का हर किसी को पालन करना होगा। बीजेपी ने इस मामले में मुस्लिम समाज के तमाम लोगों से ये मांग की कि वह बकरीद के रोज अपने घरों से ही दुआएं करें और सांकेतिक रूप में कुर्बानी दें।
ईद-उल-फितर पर भी घर में पढ़ी गई नमाज
इसके अलावा तमाम सामाजिक संगठनों ने भी ये कहा कि कोरोना के संक्रमण काल के बीच ईदगाहों को खोलना सही नहीं होगा, क्योंकि इससे कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। संगठनों की दलील है कि कुर्बानी के लिए अगर जीवों की जरूरत हो तो इसे ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए पूरा किया जाए। इसके अलावा नमाज की प्रक्रिया को भी घर में ही पूरा किया जाए। बता दें कि इससे पहले रमजान के महीने के बाद पड़े ईद-उल-फितर के दिन भी लोगों ने दुनिया भर में अपने घरों से ही नमाज पढ़कर सभी की सलामती की दुआएं मांगी थी।
कांवड़ यात्रा पर भी लगी है रोक
सावन में कांवड़ यात्रा समेत तमाम धार्मिक आयोजनों में भीड़ इकट्ठा करने पर रोक लगाई गई है। सावन महीने में पश्चिम यूपी के जिन हिस्सों में सरकारी स्तर पर कांवड़ यात्रा के लिए करोड़ों रुपये के इंतजाम होते थे, इस साल वहां पर किसी भी तरह का बंदोबस्त नहीं किया गया है। इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी सभी धर्मों के ऐसे धार्मिक आयोजन जिनमें भीड़ इकट्ठा होने की स्थितियां बन सकती हों, उन्हें स्थगित करने या सांकेतिक रूप में ही आयोजित किया गया है। ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया है, जिससे कि कोरोना के संक्रमण से आम लोगों को बचाया जा सके।