चीनी तट से अमेरिका को दूर रखने के इरादे से 1990 में चीन ने अपनी सेना को मजबूत करना शुरू किया था। अब पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की कोशिश है कि अमेरिका से मिलने वाली चुनौती को और दूर किया जा सके। चीन के शिपयार्ड ने PLA नौसेना के लिए पहले दो टाइप 075 amphibious (उभयचर) असॉल्ट शिप लॉन्च कर दिए हैं। ये जहाज ठीक वैसी फोर्स की शक्ति बनने का काम करेंगे जैसे अमेरिका में Marine Corps हैं। अमेरिका की तरह ही चीन की यह नई सेना भी आत्म-निर्भर होगी और अपने दम पर अपने हथियारों के साथ जंग के मैदान में उतर सकेगी। उसकी ट्रेनिंग चीन पहले ही शुरू कर चुका है।
वेस्टर्न मिलिट्री एक्सपर्ट्स ने सैटलाइट इमेज और कुछ तस्वीरों के आधार पर बताया है कि 40 हजार टन के टाइप 075 जहाज छोटे एयरक्राफ्ट कैरियर की तरह हैं। इनमें 900 सैनिक, भारी रक्षा उपकरण और लैंडिंग क्राफ्ट आ सकते हैं। ये पहले 30 हेलिकॉप्टर ले जाएंगे और अगर चीन छोटे टेक-ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग वाले एयरक्राफ्ट बना लेता है तो फिर फाइटर जेट्स भी ले जा सकेंगे। चीन की आधिकारिक सैन्य मीडिया के मुताबिक पहले टाइप 075 को पिछले साल सितंबर में और दूसरे को अप्रैल में लॉन्च किया गया है। तीसरा जहाज अभी बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि आगे चलकर चीन ऐसे 7 और जहाज बनाएगा। चीन के मिलिट्री कमेंटेटर्स का कहना है कि चीन के शिपयार्ड अब ऐसे जहाजों को बनाने और लॉन्च करने का काम इतनी तेजी से कर रहे हैं जैसे पानी में ‘डंपलिंग’ गिरा रहे हैं। (तस्वीर: Reuters)
हालांकि, चीन की ये सेना अभी अमेरिका से पीछे है लेकिन माना जा रहा है कि जिस तरीके से चीन की सेना आगे बढ़ रही है, एशिया में सत्ता का केंद्र बदलता दिख रहा है। पिछले दो दशकों में चीन ने मिसाइलों का जखीरा खड़ा कर दिया है। Amphibious जहाजों और सेना की मदद से पेइचिंग दूर तक अपना राजनीतिक दबदबा बना सकेगा। PLA की नौसेना इस फोर्स को तैयार करने के काम में लग चुकी है। उन्हें लैंड करने और तट से अंदर जाकर लड़ने की ट्रेनिंग दी जा रही है। अमेरिका और जापान की सेना के मुताबिक चीन के पास 25 से 35 हजार मरीन सैनिक हैं जबकि 2017 में यह संख्या सिर्फ 10 हजार थी।
इस सेना की जरूरत इसलिए पड़ती है ताकि जब फाइटर जेट आसमान से लड़ते रहें और जहाज पानी पर खड़े होकर मिसाइलें दागते रहें, तब जरूरत पड़ने पर सैनिक तट से होकर जमीन पर उतरें और लड़ाई जारी रखें। चीन के अंदर मीडिया अक्सर मरीन सेना की ट्रेनिंग और क्षमता का प्रचार करता है। उन्हें जियाओलॉन्ग या सी ड्रैगन कमांडोज कहा जाता है जो मरीन स्पेशल फोर्स ब्रिगेड की हैनान टापू पर एक यूनिट है। चीन इनकी मदद से दुश्मनों को दूर रख सकेगा और विदेश में चीनी नागरिकों और निवेश को सुरक्षित रख सकेगा। आपदा के वक्त में राहत और बचावकार्य में भी यह PLA की मदद करेगा। (तस्वीर: गुआन्गडॉन्ग में जारी ट्रेनिंग, Source: Reuters)
सबसे खास बात यह है कि इसके सहारे चीन की PLA को ताइवान में उतरने या ऐसे ही किसी और विवादित क्षेत्र पर धावा बोलने में आसानी होगी। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और इस साल उसने ताइवान के पास सैन्य ऑपरेशन भी बढ़ा दिए हैं। चीन के जेट और बॉम्बर तक ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में दाखिल हो चुके हैं। ऐसे में मरीन सेना के आने से चीन की ताकत और बढ़ जाएगी। एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि अब से 10 साल में हम देखेंगे कि चीन ने अपनी मरीन सेना को दुनियाभर में तैनात कर रखा है। (तस्वीर: USS Kearsarge, Credit: Jonathan drake)