प्रॉजेक्ट को केंद्र सरकार ने सही ठहराया है और कहा है कि इससे लोगों का जीवन आसान होगा और सभी मुख्य मिनिस्ट्री केंद्रीय इलाके में होंगे। केंद्र ने कहा कि मौजूदा संसद भवन 100 साल पुराना हो चुका है और नई बिल्डिंग बनेगी तो तमाम मानकों को पूरा करेगी।
दिल्ली भूकंप के जोन 4 में है और नई बिल्डिंग उसके अनुरूप बनेगी। में केंद्र सरकार ने कहा कि नई पार्लियामेंट और सेंट्रल सेक्रेटेरियट बनाने में किसी भी एतिहासिक धरोहर (हेरिटेज बिल्डिंग) को नहीं हटाया जाएगा और न ही कोई पेड़ काटे जाएंगे। सेंट्रल विस्टा प्रॉजेक्ट पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि अथॉरिटी अगर कानून के तहत काम कर रही है तो क्या उसे काम करने से रोका जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सरकार इस प्रॉजेक्ट पर आगे बढ़ना चाहती है तो जिम्मेदारी सरकार पर है। केंद्र सरकार ने कहा कि प्रॉजेक्ट के तहत नया संसद भवन और तमाम सेंट्रल सेक्रेटेरियट बनेंगे। 20 हजार करोड़ की लागत वाले इस प्रॉजेक्ट पर खर्चा एक बार में नहीं आएगा बल्कि छह साल में ये रकम खर्च होंगे। सारे दफ्तर सेंट्रल इलाके में होंगे इससे एग्जिक्युटिव के कार्यक्षमता में इजाफा होगा और लोगों का जीवन आसान होगा।
कुल 51 मिनिस्ट्री 10 बिल्डिंग में होंगी और एक हजार करोड़ रुपये की बचत हर साल होंगी। इसलिए सेंट्रल विस्टा प्रॉजेक्ट का कंस्ट्रक्शन जरूरी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि नया संसद भवन मौजूदा पार्लियामेंट के बगल में साढ़े 9 एकड़ जमीन पर बनेगा। लोग 3 किलोमीटर अंडरग्राउंड शटल से जा सकेंगे। मौजूदा पार्लियामेंट 100 साल पुराना है। वह तकनीकी और मौजूदा जरूरत के हिसाब से अपग्रेड नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में सीपीडब्ल्यूडी की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि दिल्ली जोन 4 के भूकंप वाले इलाके में है, ऐसे में नई बिल्डिंग उसके मानक के हिसाब से होंगी। इसके अलावा फायर सेफ्टी से लेकर अन्य तमाम तकनीकी जरूरतों को नई बिल्डिंग पूरा करेंगी और नए पार्लियामेंट बिल्डिंग में लोकसभा में 876 और राज्यसभा में 400 सदस्यों की जगह होंगी। सेंट्रल विस्टा प्रॉजेक्ट के तहत 3 किलोमीटर के दायरे में नई संसद की बिल्डिंग से लेकर और कई सरकारी इमारतें बननी है।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि नए बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन में कानूनी प्रक्रिया का पालन होगा। नई बिल्डिंग के लिए पर्यावरण, पेड़ व ट्रैफिक आदि के प्रभाव से संबंधित गाइडलाइंस का पालन होगा। इस परियोजना के लिए किसी भी पेड़ को नहीं काटा जाएगा बल्कि पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन यानी एक जगह से दूसरी जगह लगाया जाएगा।
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की परियोजना सेंट्रल विस्टा प्रॉजेक्ट के लिए लैंड यूज बदले जाने वाली नोटिफिकेशन पर किसी भी तरह के रोक लगाने से मना कर दिया था। तब सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि संसद भवन के लिए ईमारत बनाई जानी है इसको लेकर आपत्ति क्यों जताई जा रही है।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडियागेट के बीच ईमारतों का पुनर्निर्माण होना है। सरकार ने 20 मार्च को 20 हजार करोड़ रुपये की लागत के सेंट्रल विस्टा प्रॉजेक्ट के लिए लैंड यूज में बदलाव को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉजेक्ट पर रोक लगाने से मना कर दिया था।