एशियानेट न्यूजएबल से बात करते हुए हार्पर ने कहा, ‘मैं उस ‘तेंडुलकर’ फैसले को अपनी जिंदगी के हर दिन देखता हूं। ऐसा नहीं था कि मैं सोया नहीं था या मुझे बुरे सपने आ रहे थे और मेरे दिमाग में रिप्ले चल रहे थे। जब मैं अपने गैराज से बाहर निकला तो मेरे सामने सचिन और ग्लैन मैक्ग्रा की पेंटिंग थी।’
उन्होंने कहा, ‘हो सकता है कि आप इस बात को जानकर दुखी हों कि मुझे अभी भी उस फैसले पर गर्व है। क्योंकि मैंने वो चीज देखी, बिना किसी डर के नियम लागू किए।’ 1999 एडिलेड टेस्ट मैच में सचिन ने मैक्ग्रा की शॉर्ट गेंद को रोकने की कोशिश की थी और उससे बचने के लिए वह बैठ गए थे लेकिन गेंद ज्यादा उठी नहीं थी और सचिन के कंधे पर जा लगी थी।
ऑस्ट्रेलिया ने इस पर अपील की और हार्पर ने सचिन को बेझिझक आउट दे दिया। हार्पर ने कहा कि उस मैच में टीम के विकेटकीपर एमएसके प्रसाद ने कई वर्षों बाद उनसे कहा था कि सचिन का मानना था कि वह सही फैसला था। हार्पर ने बताया, ‘सचिन उस समय भारतीय टीम के कप्तान थे और आईसीसी अधिकारी ने मुझसे कहा था कि उन्होंने मैच के बाद मेरे प्रदर्शन का विश्लेषण करते हुए उस फैसले को नोट नहीं किया था।’
हार्पर ने कहा, ‘दिसंबर-2018 में मैं उस समय के भारतीय टीम के मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद से एडिलेड ओवल मैदान पर खेले जा रहे भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैच में लंच के दौरान मिला। उस मैच (1999 मैच) के बाद हम एक दूसरे से मिले नहीं थे। 20 साल बाद हम उसी खूबसूरत मैदान पर मिले। प्रसाद उस मैच में भारत के विकेटकीपर थे, अपना चौथा टेस्ट मैच खेल रहे थे और 6 कैच उन्होंने उस मैच में पकड़े थे।’
उन्होंने कहा, ‘प्रसाद ने मुझसे कहा था कि… सचिन ने कहा था कि वह आउट हैं….मैंने पुष्टि करते हुए कहा.. मुझे भी लगा था कि वह आउट हैं।’