राजस्थान में गहलोत और पायलट खेमे (Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot) के बीच जारी सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। जिस तरह से सचिन पायलट (Sachin Pilot) के नेतृत्व में करीब 18 विधायकों ने सीएम गहलोत के खिलाफ विरोध के सुर बुलंद किए, उससे सरकार पर संकट जरूर बढ़ गया। हालांकि, अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने जल्द ही अपने बाकी विधायकों को एकजुट करके अपनी सीएम की कुर्सी पर मंडरा रहे खतरे को फौरी तौर पर टाल दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने सचिन पायलट खेमे के विधायकों को नोटिस भी जारी कर दिया। जिसको लेकर पायलट गुट ने राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया, इसमें सुनवाई जारी है। फिलहाल कोर्ट का फैसला क्या रहेगा ये तो आने वाले समय में पता चल जाएगा। इस बीच हर किसी की नजर इस बात पर है कि राजस्थान में आगे क्या हो सकता है? पूरे सियासी घमासान में पायलट और गहलोत खेमे के पास क्या-क्या संभावनाएं होंगी, बताते हैं आगे…
कोर्ट का फैसला अगर गहलोत खेमे के पक्ष में आता है तो मुख्यमंत्री तुरंत पायलट समेत सभी 19 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करवा सकते हैं। एक संभावना ये भी है कि अगर कुछ विधायक फिर से वापस आना चाहते हैं तो उनके खिलाफ विधानसभा स्पीकर अपना फैसला रोक सकते हैं। अगर इन विधायकों को अयोग्य करार दिया जाता है तो सूबे में बहुमत का आंकड़ा 91 हो जाएगा, जो कि अभी 101 का है। गहलोत खेमे का दावा है कि बहुमत का आंकड़ा उनके पक्ष में हैं, ऐसे में फिलहाल सरकार पर संकट के आसार कम ही नजर आ रहे हैं।
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अगर कोर्ट का फैसला सचिन पायलट खेमे के पक्ष में आता है तो ये सचिन पायलट के लिए बड़ी जीत होगी। उनकी प्लानिंग पर असर पड़ेगा और वो खुलकर सीएम अशोक गहलोत के सामने आ सकेंगे। वहीं, गहलोत खेमा ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है। हालांकि, पायलट खेमे के पक्ष में फैसला आने पर एक संभावना ये भी हो सकती है कि अशोक गहलोत खुद ही सरकार से अलग हो जाएं।
अगर पायलट खेमा बीजेपी और उसके सहयोगियों के साथ जाता है तो क्या सियासी स्थिति होगी? ऐसे में बीजेपी के 75 विधायक, पायलट गुट के 21 MLA और क्षेत्रीय भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के दो विधायक भी एक साथ आकर सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं। हालांकि, इसकी संभावना तभी होगी जब पायलट खेमा बीजेपी के साथ जाता है। लेकिन अभी तक उनकी तरफ से बीजेपी में जाने को लेकर कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा गया है।
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राजस्थान हाईकोर्ट में पायलट खेमे की ओर से दायर की गई याचिका पर कोर्ट अगर अयोग्यता नोटिस को खारिज कर देता है, तो ऐसी स्थिति में बहुमत की संख्या 101 बनी रहेगी। ऐसे में सीएम गहलोत को आगे आकर एक बार फिर से सभी कांग्रेस विधायकों को एकजुट करना होगा। उन्हें सरकार का सपोर्ट करने की अपील के साथ बहुमत के तय आंकड़े 101 को पार करना होगा। हालांकि, मौजूदा स्थिति में गहलोत खेमे का दावा है कि उनके पास 105 विधायकों का सपोर्ट है।