अपनी तरह के पहले मामले में ने सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले अधिकारियों व जवानों के लिए एक आचार संहिता की घोषणा की है। उन्हें शिष्ट, गैर राजनीतिक व धर्म निरपेक्ष रहने की नसीहत दी है। बता दें कि सूरत में हाल ही गुजरात पुलिस की एक जवान सुनीता यादव ने कोरोना महामारी के दौरान कर्फ्यू का पालन नहीं करने पर सरकार के मंत्री के पुत्र व उसके मित्रों को खरी खोटी सुनाई। साथ ही, जिस तरह उस वाकये को मीडिया व सोशल मीडिया में फैलाकर सुर्खियां बटोरी उससे आला अधिकारियों व सरकार की खूब किरकिरी हुई।
दरअसल गुजरात में द्वारा जारी ‘आचार संहिता’ के तहत पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इंटरनेट पर अपनी राजनीतिक राय व्यक्त नहीं करें और सरकार विरोधी किसी भी मुहिम से दूर रहें। राज्य में पुलिसकर्मियों का वेतन बढ़ाने के लिए ऑनलाइन अभियान की पृष्ठभूमि में यह सख्त दिशा-निर्देश जारी किया गया है। इस अभियान को फेसबुक और ट्विटर जैसे मंचों पर बड़ी प्रतिक्रिया मिली है।
3 लोगों को किया गया गिरफ्तार
डीजीपी झा ने मंगलवार को बताया कि वेतन वृद्धि के लिए ‘हिंसक आंदोलन’ में भागीदारी को लेकर पुलिसकर्मियों को गुमराह करने के संबंध में गांधीनगर में तीन लोगों के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि ‘ऐसे समय में जब राज्य और पुलिस बल कोरोना वायरस महामारी से निपटने में जुटे हुए हैं पुलिसकर्मियों को गुमराह करने के आरोप में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया।’ शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि ऑनलाइन स्तर पर इस तरह का अभियान चलाने के लिए जिम्मेदार लोगों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
‘सोशल मीडिया पर मत करें राजनीतिक टिप्पणी’
डीजीपी ने कहा कि ऐसे अभियान में भागीदारी करने वाले पुलिसकर्मियों को भी कार्रवाई का सामना करना होगा। नए नियमों के मुताबिक पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की राजनीतिक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। इसमें कहा गया कि वे ऐसे किसी समूह या मंच का हिस्सा नहीं हो सकते जिसका गठन धर्म जाति, नस्ल या उपजाति के आंदोलन या इसे बढ़ावा देने के मकसद से किया गया है। खुफिया अधिकारियों को इससे छूट दी गयी है लेकिन इसके लिए उन्हें पहले अपने सीनियर अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी।
सरकार की नहीं कर सकते आलोचना
आचार संहिता में कहा गया है कि सरकार या सेवा मामलों में पुलिस बल की आलोचना वाला कोई पोस्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नहीं डालनी चाहिए। इसी तरह सेवा संबंधी मामलों के बारे में कोई शिकायत ऑनलाइन स्तर पर जाहिर नहीं करनी चाहिए और पुलिस कर्मियों को अपने निजी विचार भी व्यक्त करने से रोका गया है।
ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया पर पाबंदी
अधिकारियों समेत पुलिसकर्मियों को सलाह दी गयी है कि सोशल मीडिया से जुड़ाव के लिए इंटरनेट जैसे सरकारी संसाधन का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। ड्यूटी के दौरान वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकते। निर्देश में कहा गया है कि अगर कोई पुलिसकर्मी निजी उद्देश्य के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है तो उसे स्पष्ट करना होगा कि वह निजी हैसियत से ऐसा कर रहा है और गुजरात पुलिस विभाग के कर्मी के तौर पर नहीं।
अभद्र भाषा नहीं कर सकते हैं इस्तेमाल
आचार संहिता में पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को सोशल मीडिया पर शिष्टाचार भाषा का इस्तेमाल करने और धौंस जमाने या लोगों को परेशान नहीं करने की हिदायत दी गयी है। इसके साथ ही डीजीपी झा ने आगाह किया है कि नियमों का पालन नहीं होने पर कानूनी और विभागीय कार्रवाई की जाएगी।