लद्दाख में भारतीय सेना की जोरदार तैयारी और गलवान घाटी में मुंहतोड़ जवाब से घबराए चीन ने अब पहली बार तिब्बत में अपना ‘उड़ता अस्पताल’ तैनात किया है। इस ‘उड़ते अस्पताल’ की मदद से चीन अपने घायल सैनिकों को हजारों किलोमीटर की दूरी पर स्थित अस्पतालों तक पहुंचा पाएगा। माना जा रहा है कि चीन को यह डर सता रहा है कि अगर भारत के साथ संघर्ष होता है तो उसे मेडिकल सहायता की तत्काल जरूरत पड़ सकती है। आइए जानते हैं कि क्यों बेहद खास है चीन का यह ‘उड़ता अस्पताल’….
दरअसल, भारत की सीमा से सटे इस इलाके में चीनी सेना की स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत खराब हैं और उसे मजबूरन Y-9 मेडिकल एयरक्राफ्ट को तैनात करना पड़ा है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सेना के युद्धाभ्यास के दौरान एक अधिकारी बुरी तरह से घायल हो गया था। इस घायल अधिकारी को बेहतर इलाज के लिए 5200 किमी दूर स्थित अस्पताल ले जाने के लिए Y-9 मेडिकल एयरक्राफ्ट को भेजा गया। इस प्लेन से अधिकारी को शिजिंग के अस्पताल ले जाया गया।
पेइचिंग के एक सैन्य सूत्र ने बताया कि इस प्लेन का मकसद ऊंचाई वाले इलाकों खासतौर पर भारतीय सीमा पर स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना है। भारत और चीन की हजारों किलोमीटर लंबी सीमा है और कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं है। पिछले महीने गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष में 20 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। चीन ने अपने मारे गए सैनिकों का खुलासा नहीं किया था। चीन के सैन्य सूत्रों का दावा है कि भारत से कम संख्या में चीन के सैनिक मारे गए थे वहीं भारतीय और अमेरिकी सूत्रों का दावा है कि करीब 40 चीनी सैनिक हताहत हुए थे।
चीनी सूत्र ने कहा कि गलवान जैसी झड़प की सूरत में स्वास्थ्य सुविधाओं का बेहतर होना जरूरी है, इससे मृतकों की संख्या को कम से कम रखा जा सकता है। उन्होंने, ‘Y-9 उड़ता अस्पताल है और यह गंभीर रूप से घायल सैनिकों की जान बचाने में बेहद मददगार साबित होगा। इसके अलावा हिमालयी इलाके में भारत से लगी सीमा पर कई अस्पतालों को फर्स्ट एड सहायता के लिए हायपर बेरिक ऑक्सीजन चेंबर से लैस किया गया है।’ चीन इस इलाके में मौजूद अपने सभी अस्पतालों को आधुनिक बना रहा है। इस प्लेन को कॉर्डियोग्राम मॉनिटर, रेस्पिरेटर और अन्य उपकरणों से लैस किया गया है।