दुनिया में कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए जद्दोजहद जारी है। अब तक 6 लाख लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस से दुनिया के 196 देश परेशान है। इस बीच रूस (Russia Covid-19 Vaccine) ने दावा किया है कि उसने कोरोना वायरस की वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल पूरा कर लिया है। रूस की इस वैक्सीन को लेकर अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। रूस के अरबपतियों ने अप्रैल महीने में ही कोरोना का टीका लगवा लिया था।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के अरबपतियों और राजनेताओं को कोरोना वायरस की प्रायोगिक वैक्सीन को अप्रैल में ही दे दिया गया था। इस पूरे मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जिन अमीरों को यह वैक्सीन दी गई, उनमें एल्युमीनियम की विशाल कंपनी यूनाइटेड रसेल के शीर्ष अधिकारी, अरबपति और सरकारी अधिकारी शामिल हैं। इस वैक्सीन को मास्को स्थित रूस की सरकारी कंपनी गमलेया इंस्टीट्यूट ने अप्रैल में तैयार किया था।
वैक्सीन को रूस की सेना ने वित्तीय मदद दी
गमलेई वैक्सीन को रूस की सेना और सरकारी रसियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने वित्तीय मदद दी थी। इस वैक्सीन का पिछले हफ्ते ही पहला ट्रायल पूरा हो गया है। यह टेस्ट रूस की सेना के जवानों पर किया गया है। इंस्टीट्यूट ने अब तक इसका रिजल्ट घोषित नहीं किया है। इसमें 40 लोग शामिल थे। अब इस वैक्सीन का बड़े समूह पर ट्रायल किया जा रहा है।
रूसी अधिकारियों ने यह नहीं बताया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यह वैक्सीन दी गई है या नहीं। रूस में कोरोना वायरस के 7,50,000 मामले सामने आए हैं। रूस की गमलेई की वैक्सीन पश्चिमी देशों की तुलना में ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रही है। तीन अगस्त से इस वैक्सीन का फेज 3 का ट्रायल शुरू होने जा रहा है। इसमें रूस, सऊदी अरब और यूएई के हजारों लोग हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि रूस सितंबर तक कोरोना वायरस वैक्सीन अपने नागरिकों को दे देगा।
सितंबर से वैक्सीन का बड़े पैमाने पर प्रॉडक्शन
गमलेई सेंटर के हेड अलेक्जेंडर जिंट्सबर्ग ने सरकारी न्यूज एजेंसी TASS को बताया कि उन्हें उम्मीद है कि वैक्सीन 12 से 14 अगस्त के बीच ‘सिविल सर्कुलेशन’ में आ जाएगी। अलेक्जेंडर के मुताबिक, प्राइवेट कंपनियां सितंबर से वैक्सीन का बड़े पैमाने पर प्रॉडक्शन शुरू कर देंगी। गमलेई सेंटर हेड के मुताबिक, वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल में पूरी तरह सेफ साबित हुई है। अगस्त में जब मरीजों को वैक्सीन दी जाएगी तो यह उसके फेज 3 ट्रायल जैसा होगा क्योंकि जिन्हें डोज मिलेगी, उनकी मॉनिटरिंग की जाएगी। फेज 1 और 2 में आमतौर पर किसी वैक्सीन/दवा की सेफ्टी जांची जाती है ताकि फेज 3 में बड़े ग्रुप पर ट्रायल किया जा सके।