319 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड का स्कोर चार विकेट पर 174 रन था लेकिन 223 रन पर पूरी टीम आउट हो गई। और भारत ने सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच के आखिरी दिन 95 रनों से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। इशांत अपने इस शानदार प्रदर्शन से लॉर्ड्स में एक पारी में 7 विकेट लेने पहले भारतीय गेंदबाज भी बने। वह ‘मैन ऑफ द मैच’ चुने गए।
भारतीय टीम ने टेस्ट क्रिकेट में लॉर्ड्स के मैदान से ही 1932 में डेब्यू किया था। टीम इंडिया ने 1986 के बाद से यहां पर कोई टेस्ट मैच नहीं जीता था। 82 साल के इस अर्से में भारत ने लॉर्ड्स में 16 टेस्ट खेले, जिसमें 11 में उसे हार का सामना करना पड़ा, जबकि 4 मैच ड्रॉ रहे। इस जीत से पहले लॉर्ड्स में भारत के खाते में सिर्फ एक टेस्ट जीत दर्ज थी, जो उसे 28 साल पहले 1986 में मिली थी। तब कपिल देव की कप्तानी में भारत ने डेविड गावर की टीम को 5 विकेट से हराया था। साल 2018 में जब अगली बार दोनों टीमें लॉर्डस पर भिड़ीं तो इंग्लैंड ने पारी और 159 रनों के अंतर से जीत हासिल की थी।
मैच के आखिरी दिन इंग्लैंड ने पिछले दिन के स्कोर 4 विकेट पर 105 रन से आगे खेलना शुरू किया। जो रूट और मोईन अली ने संभलकर बैटिंग करते हुए टीम का स्कोर 173 रन तक ले गए। इन दोनों बल्लेबाजों के बीच पार्टनरशिप 101 रनों की हो चुकी थी और टीम इंडिया की टेंशन बढ़ती जा रही थी।
लंच से ठीक पहले भारत को पहली सफलता मिली जब ईशांत की शॉर्ट बॉल ने अली (39) को पुजारा के हाथों कैच करवाया। अली के बाद आए मैट प्रायर ने आक्रामक रुख अपनाया लेकिन एक बार फिर इशांत की शॉर्ट पिच बॉल ने कामयाबी दिलाई। प्रायर ने पुल करने की कोशिश की और डीप मिडविकेट पर मुरली विजय ने कैच किया।
प्रायर के बाद आए बेन स्टोक्स को इशांत शर्मा ने खाता भी नहीं खोलने दिया। स्टोक्स भी इशांत की गेंद को उड़ाने के चक्कर में आउट हुए। उसी ओवर में खतरनाक लग रहे जो रूट को आउट कर इशांत ने भारत की मैच पर पकड़ मजबूत कर दी। रूट ने 146 गेंदों पर 7 चौकों की मदद से 66 रन बनाए। रूट के बाद कोई भी बल्लेबाज ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और इंग्लैंड की हार पक्की होती चली गई।