कोरोना से उबरने के बाद मैं सोच ही रही थी कि मुझे भी प्लाज्मा डोनेट करना है, फिर डिपार्टमेंट की ओर से जैसे ही फोन करके पूछा गया कि क्या आप प्लाज्मा डोनेट करना चाहेंगी? वैसे ही झट से मैंने हां कर दी। प्लाज्मा डोनेशन वाले दिन का मुझे बेसब्री से इंतजार था। यह कहना है रोहिणी नॉर्थ थाने में तैनात सिपाही और कोरोना वॉरियर (Corona Warrior) हेमा का। वह की पहली महिला सिपाही बन गई हैं, जिन्होंने प्लाज्मा डोनेट किया है।
2011 बैच की कोरोना वॉरियर सिपाही हेमा की ड्यूटी वैसे तो थाने में पब्लिक फेसिलिटेशन डेस्क पर रहती है, लेकिन स्टाफ की कमी के वक्त उन्होंने कंटेनमेंट जोन में भी ड्यूटी की। वह पिकेट ड्यूटी से भी पीछे नहीं रहीं। 2 जून को उन्हें गले में दर्द हुआ और थकान महसूस हुई। उसी दिन उन्होंने आंबेडकर हॉस्पिटल में अपना कोरोना टेस्ट कराया। क्योंकि, इससे पहले उनके थाने के एक-दो साथियों को कोरोना हो चुका था।
6 जून को पॉजिटिव आई, लेकिन हालत स्थिर थी। उन्होंने सेल्फ आइसोलेशन में ही रहने का फैसला किया। लेकिन परिवार के साथ शालीमार बाग पुलिस कॉलोनी में रह रहीं हेमा के सरकारी क्वॉर्टर में इतनी जगह नहीं थी कि वह खुद को परिवार के लोगों से बचाते हुए क्वॉरंटीन कर सकें। लिहाजा उन्होंने थाने के एसएचओ आकाश रावत से बात की और फिर रोहिणी सेक्टर-6 में ही एक गेस्ट हाउस में 25 जून तक परिवार से अलग अकेले रहीं।
25 जून को उनकी कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आ जाने पर वह घर आ गईं। फिर 29 जून से ड्यूटी जॉइन कर ली। इसके बाद उनके दिमाग में प्लाज्मा डोनेट करने की बात आई, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने के तुरंत बाद प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते। इसके लिए कम से कम 14 दिन का इंतजार करना जरूरी है। फिर इतने दिन बीत जाने के बाद महकमे से प्लाज्मा डोनेट करने के लिए कॉल आई तो उन्होंने इसे अपना सौभाग्य समझते हुए प्लाज्मा डोनेट करने का निर्णय लिया।
हेमा बताती हैं कि उन्हें नहीं पता था कि एम्स में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव भी आएंगे। यह बातें तो रविवार को एम्स में प्लाज्मा डोनेट करते वक्त ही पता लगी। बहरहाल, उन्हें गर्व है कि उनके प्लाज्मा डोनेट करने से किसी की जिंदगी तो बचेगी।
हेमा ने दिल्ली पुलिस के अन्य साथियों से भी अपील की है कि प्लाज्मा डोनेट करने से ना तो कोई कमजोरी आती है और ना ही किसी तरह की परेशानी महसूस होती है। इसके उलट अच्छा लगता है कि हम किसी के काम आ रहे हैं। एक अच्छा काम कर रहे हैं। इसलिए जो भी प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। उन्हें जरूर आगे आना चाहिए, जय हिंद।