ओली-प्रचंड की 'डील' से सकते में 'नेपाल', विवाद

काठमांडू
नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व पीएम पुष्‍प कमल दहल के बीच विवाद खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों पक्षों के बीच एक अंतरिम डील हुई थी और कहा गया था कि पार्टी की आम सभा की बैठक नवंबर/दिसंबर में बुलाई जाएगी। इस डील से अब और ज्‍यादा विवाद बढ़ गया है। नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के वरिष्‍ठ नेता ने पर्दे के पीछे से हुए इस समझौते पर कड़ी आपत्ति जताई है।

काठमांडू पोस्‍ट की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को ओली और प्रचंड के बीच राष्‍ट्रपति विद्या देवी भंडारी की मौजूदगी में समझौते पर सहमति बनी थी। उधर, रविवार को प्रचंड विरोधी माधव कुमार नेपाल खेमे को मनाने में जुटे रहे। माधव कुमार के खेमे का मानना है कि ओली के इस्‍तीफे की मांग छोड़कर प्रचंड ने उन्‍हें एक बार फिर से धोखा दिया है।

प्रचंड ने ओली के इस्‍तीफे के मुद्दे को नहीं उठाया
कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के नेताओं के मुताबिक प्रचंड ने शनिवार को हुई बैठक में ओली के इस्‍तीफे के मुद्दे को ही नहीं उठाया। रव‍िवार को माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल समेत पार्टी के कई वरिष्‍ठ नेता प्रचंड के घर पहुंचे और उन्‍होंने ओली के साथ हुए समझौते पर कई तीखे सवाल उठाए। इसके बाद दबाव में आए प्रचंड ने पार्टी नेताओं से कहा कि नवंबर में आम सभा की बैठक को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है। यह केवल एक प्रस्‍ताव था।

एनसीपी के प्रवक्‍ता नारायण काजी श्रेष्‍ठ ने कहा, ‘लेकिन प्रचंड ने कहा कि आम सभा की बैठक के प्रस्‍ताव को लेकर भ्रम है।’ कुछ सप्‍ताह पहले तक प्रचंड का खेमा माधव कुमार नेपाल और खनल की मदद से ओली के प्रधानमंत्री और पार्टी अध्‍यक्ष के पद से इस्‍तीफे की मांग के लिए दिन-रात एक किए हुए था। स्‍टैडिंग कमिटी के 44 में से 30 सदस्‍य ओली के खिलाफ थे। बताया जा रहा है कि ओली ने प्रचंड को वादा किया है कि वे जल्‍दी ही उन्‍हें पार्टी अध्‍यक्ष बनाए जाने का समर्थन करेंगे।

माधव कुमार नेपाल ने प्रचंड को धमकी दी
ऐसी भी खबरें हैं कि ओली और प्रचंड के बीच राष्‍ट्रपति की मौजूदगी में इस संबंध में एक लिखित समझौता भी हुआ है। इससे माधव कुमार नेपाल के खेमे का तनाव बढ़ गया है। हालात यहां तक खराब हो गए कि शनिवार को माधव कुमार नेपाल ने धमकी दी कि वे पार्टी नेतृत्‍व के खिलाफ जाएंगे और ओली तथा प्रचंड की सर्वाधिकारवादी नीतियों का खुलासा कर देंगे। इससे पहले प्रचंड और माधव दोनों ने मिलकर ओली के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया था लेकिन अब माधव खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

इससे डरे प्रचंड ने अब माधव कुमार और उनके समर्थकों को मनान शुरू कर दिया है। साथ ही वह यह भी कह रहे हैं कि उनके और ओली के बीच कोई समझौता नहीं हुआ है। लेकिन प्रचंड के इस दावे से पार्टी के कई दिग्‍गज नेता सहमत नहीं हैं। स्‍टैंडिंग कमिटी के सदस्‍य तोप बहादुर रयामजी ने कहा, ‘मैं कह सकता हूं कि दोनों के बीच समझौता हुआ है लेकिन जब प्रचंड के इस दांव का बुरी तरह से खुलासा हो गया तो वह अब पलट गए हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अब प्रचंड बैकफुट पर चले गए हैं।

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