लद्दाख में जारी गतिरोध को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच डिप्लोमेटिक और सैन्य स्तर पर बातचीत जारी है। पैंगोंग और देपसांग दो ऐसे इलाके हैं जहां दोनों देशों की सेनाएं अब भी आमने-सामने जमी हुई हैं। इस बीच सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन पैंगोंग झील के बड़े हिस्से पर कब्जे की तैयारी के आया हुआ है। इन तस्वीरों में चीनी तैयारियों की झलक भी दिखाई दे रही है। यही कारण है कि कई दौर की मैराथन बातचीत के बाद भी चीन इस इलाके से पीछे हटने को तैयार नहीं हुआ है।
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनालिस्ट Detresfa की सैटलाइट तस्वीर के अनुसार, चीन ने पैंगोंग झील इलाके में 18 की संख्या में पेट्रोल बोट तैनात कर रखा है। हॉइ स्पीड से चलने वाली ये पेट्रोल बोट न केवल पानी में गश्त के काम आ रही हैं, बल्कि इनमें छोटे और मध्यम दूरी तक मार करने वाले हथियार भी तैनात हैं। हालांकि उनके ये बोट अभी एलएसी के चीन वाले इलाके में ही गश्त कर रहे हैं।
जून में ली गई इन सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार पैंगोंग झील के किनारे चीन ने इन बोट्स के रुकने के लिए डॉकयार्ड, रिपेयरिंग डिपो और रडार स्टेशन भी बनाया हुआ है। इनके अलावा सैनिकों के रुकने के लिए शेल्टर का भी निर्माण किया गया है। इनके आसपास बिजली के लिए सोलर पैनल भी लगाए गए हैं। इन तस्वीरों में चीनी पेट्रोल बोट साफ नजर आ रहे हैं।
पैंगोंग सो एरिया में चीनी सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) लंबे वक्त से भारतीय इलाके में 8 किलोमीटर तक घुसी हुई है। भारत चाहता है कि पैंगोंग सो झील के उत्तरी इलाके में तैनात PLA के 3 हजार से ज्यादा सैनिक अपनी पुरानी स्थिति यानी सिरिजप-1 और 2 में लौट जाएं। कई राउंड की बातचीत में भी चीन इस पर राजी नहीं हुआ है।
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनालिस्ट Detresfa की सैटलाइट तस्वीर के अनुसार, फॉक्सहोल पॉइंट के पश्चिम में 3 किलोमीटर की दूरी पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की उपस्थिति बनी हुई है। वहीं इस कैंप से कुछ किलोमीटर पीछे चीनी सेना के सपोर्ट कैंप भी मौजूद हैं। दूसरी तरफ भारतीय सैनिक भी फिंगर 2 और फिंगर 3 के बीच में धन सिंह थापा पोस्ट की तरफ पीछे हटे हैं। इस इलाके में भारत परंपरागत तौर पर फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करता आया है जबकि चीन के सैनिक इस फिंगर से पीछे पेट्रोलिंग करते थे।
पैंगोंग सो एरिया की तरह ही देपसांग में भी गतिरोध बना हुआ है। यहां चीनी सैनिकों ने पट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 12 और 13 पर भारतीय सेना की पट्रोलिंग को रोकना जारी रखा है। इन चारों पॉइंट्स पर इंडियन आर्मी परंपरागत तौर पर पेट्रोलिंग करती आई है। गलवान के उत्तर में स्थित देपसांग रणनीतिक तौर पर बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसकी वजह यह है कि यह काराकोरम दर्रे से सटे रणनीतिक तौर पर अहम दौलत बेग ओल्डी पर भारत के पोस्ट के करीब है।