ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव को 'कम' करने वाली फॉर्म्युला पर काम कर रही बीजेपी?

भोपाल
एमपी की सियासत मार्च से ही गरम है। बीजेपी और कांग्रेस के अंदर गुटबाजी चरम पर है। के कांग्रेस छोड़ने के बाद बीजेपी सत्ता में आई है। ऐसे में सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा भी है। कैबिनेट विस्तार से लेकर विभागों के बंटवारे तक में ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबादबा रहा है। शिवराज कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया की हिस्सेदारी 41 फीसदी है। उनका दखल सरकार में हमेशा रहेगा। वर्तमान सियासी समीकरण को देख कर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव को कम करने के प्लान पर काम कर रही है।

दरअसल, एमपी में बीजेपी को सत्ता में बने रहने के लिए 9 सीटों की आवश्यकता है। बीजेपी के पास अभी 107 विधायक हैं। हाल ही में कांग्रेस के 2 विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद प्रदेश में 26 सीटों पर उपचुनाव है। 26 में 22 वो सीट हैं, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में आए थे। उन 22 में से भी, 3 विधायक ऐसे हैं, जो सिंधिया गुट के नहीं थे। ऐसे में प्रदेश की राजनीति में 7 ऐसे सीटों पर उपचुनाव हैं, जिनका सिंधिया खेमे से सीधा कोई वास्ता नहीं है।

सिंधिया का रहा है दबदबा
ज्योतिरादित्य सिंधिया के दखल की वजह से एमपी में कैबिनेट का विस्तार भी लंबा खींचा है। उसके बाद विभागों के बंटवारे में 11 दिन लग गए। मंत्रियों को विभाग बंटवारे को लेकर लेकर भोपाल से लेकर दिल्ली तक खूब माथापच्ची हुई थी। सीएम समेत बीजेपी के कई केंद्रीय नेताओं ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। उसके बाद विभाग बंटवारे पर सहमति बनी थी।

क्या प्रभाव कम करना चाहती है बीजेपी?
अभी जो समीकरण प्रदेश की राजनीति में दिख रहे हैं, उससे लगता है कि बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव को कम कर उनके दबाव से मुक्त होना चाहती है। चर्चा है कि प्रदेश में बीजेपी 5-6 और कांग्रेस विधायकों को तोड़ सकती है। इसके साथ ही कोशिश रहेगी कि 9 गैर सिंधिया समर्थकों की जीत पक्की हो। अगर 9 गैर सिंधिया समर्थक चुनाव जीतने में कामयाब होते हैं, तो बीजेपी अपने बल पर सत्ता में रहेगी। इसके साथ ही कुछ निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है।
हाल ही में शिवराज सरकार ने निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को खनिज निगम लिमिटेड का अध्यक्ष बनाया है और उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया है। इसके साथ ही निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भी अभी शिवराज सरकार के साथ खड़े हैं।

फिर सिंधिया गुट के बिना चल सकती है सरकार
अगर बीजेपी इसमें कामयाब हो जाती है, तो प्रदेश में बीजेपी फिर अपने दम पर शिवराज सरकार को चलाएगी। हालांकि अभी ज्योतिरादित्य सिंधिया को साथ लेकर शिवराज सिंह चौहान उपचुनाव में प्रचार कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी के सिंधिया गुट को सरकार से बेदखल नहीं करेगी, सिर्फ प्रभाव जरिए दखल को कम करेगी। सिर्फ सरकार में सिंधिया खेमे के दबदबा को कम करना चाहती है।

बीएसपी और सपा का भी साथ
यहीं, बीएसपी के 2 और सपा के एक 1 विधायक भी बीजेपी के साथ हैं। इन सभी राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को वोट किया था। ऐसे में बीजेपी प्रदेश में जोर-शोर इस फॉर्म्युला पर काम कर रही है। इसी कड़ी के तहत कांग्रेस को अभी 2 झटके लगे हैं। निमाड़ और मालवा इलाके के कुछ और विधायक जल्द ही कांग्रेस छोड़ सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *