चीन और जापान में बढ़ा तनाव, फाइटर जेट तैनात

टोक्यो
चीन और जापान के बीच में द्वीपों को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। दोनों देशों ने एक दूसरे के खिलाफ जंग की तैयारी भी शुरू कर दी है। कुछ दिनों पहले ही जापान ने सुरक्षा को लेकर श्वेतपत्र जारी किया था जिसमें चीन और उत्तर कोरिया को खतरा बताया था। इतना ही नहीं, जापान ने अपनी सेना को मजबूत करने के लिए और अधिक हथियारों के खरीद की बात भी की थी।

चीन ने शुइमेन एयरबेस पर तैनात किया फाइटर जेट
इस बीच चीन ने जापान के नजदीक स्थित फुजियान से शुइमेन एयरबेस को अपग्रेड कर वहां 24 जे-11 एयरक्राफ्ट को तैनात किया है। इन एयरक्राफ्ट की तैनाती का मुख्य उद्देश जापान पर दबाव बनाना है। इस एयरबेस पर चीन ने रूस से ली गई एस-300 लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइलें भी तैनात कर रखी हैं। पहले यहां एचक्यू-9 मिसाइल तैनात थी।

जापान ने बढ़ाई कॉम्बेट एयर पेट्रोलिंग
वहीं, जापान ने भी अपने एयरस्पेस की सुरक्षा के लिए कॉम्बेट एयर पेट्रोलिंग को बढ़ा दिया है। जापान के कई जहाज, सुबह से लेकर शाम तक पूर्वी चीन सागर में लगातार उड़ान भर रहे हैं। वहीं, रात में भी जापानी एयरफोर्ट के लड़ाकू विमान किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। इस बीच जापान ने चीन के किसी भी एयरक्राफ्ट को भगाने के लिए अब चार फाइटर जेट भेजने का निर्णय लिया है। पहले दो फाइटर जेट भी भेजे जाते थे।

105 स्‍टील्‍थ फाइटर जेट खरीद रहा जापान
चीन की बढ़ती दादागीरी से निपटने के लिए जापान रेडार की पकड़ में नहीं आने वाले दुनिया के सबसे घातक फाइटर प्‍लेन F-35 की फौज बनाने जा रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने पांचवीं पीढ़ी के 105 F-35 स्‍टील्‍थ फाइटर जेट बिक्री की अनुमति दे दी है। जापान 105 फाइटर जेट के लिए अमेरिका को 23.11 अरब डॉलर देगा। पेंटागन ने कहा कि इस बिक्री से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के विदेशी नीति के हितों की रक्षा में मदद मिलेगी। साथ ही इससे जापान की सुरक्षा क्षमता भी बढ़ेगी। ये F-35 फाइटर जेट जापान में ही असेंबल किए जाएंगे और उन्‍हें कल-पुर्जों की आपूर्ति अमेरिका करेगा।

इन द्वीपों को लेकर जापान से भिड़ा चीन
चीन और जापान में पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर आपस में विवाद है। दोनों देश इन निर्जन द्वीपों पर अपना दावा करते हैं। जिन्हें जापान में सेनकाकु और चीन में डियाओस के नाम से जाना जाता है। इन द्वीपों का प्रशासन 1972 से जापान के हाथों में है। वहीं, चीन का दावा है कि ये द्वीप उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं और जापान को अपना दावा छोड़ देना चाहिए। इतना ही नहीं चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी तो इसपर कब्जे के लिए सैन्य कार्रवाई तक की धमकी दे चुकी है।

चीन समुद्र में चला रहा पावर गेम
साउथ चाइना सी में ‘जबरन कब्‍जा’ तेज कर दिया है। पिछले रविवार को चीन ने साउथ चाइना सी की 80 जगहों का नाम बदल दिया। इनमें से 25 आइलैंड्स और रीफ्स हैं, जबकि बाकी 55 समुद्र के नीचे के भौगोलिक स्‍ट्रक्‍चर हैं। यह चीन का समुद्र के उन हिस्‍सों पर कब्‍जे का इशारा है जो 9-डैश लाइन से कवर्ड हैं। यह लाइन इंटरनैशनल लॉ के मुताबिक, गैरकानूनी मानी जाती है। चीन के इस कदम से ना सिर्फ उसके छोटे पड़ोसी देशों, बल्कि भारत और अमेरिका की टेंशन भी बढ़ गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *