क्या BJP से दोस्ती की माया की बढ़ रही चाहत?

लखनऊ
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री () अब बीजेपी के साथ गठबंधन की चाहत जाहिर करती नजर आ रही हैं। राजनीतिक हलकों में अटकलें हैं कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी () उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी (BJP) के साथ गठबंधन कर सकती है। शनिवार को राजस्थान में सियासी उठापटक के लिए मायावती ने फिर से कांग्रेस पर निशाना साधकर फिर से राजनीतिक संकेत दिए हैं। आइए, समझते हैं उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के सियासी संकेतों में बीजेपी के साथ मायावती की ‘दोस्ती’ की कैसे है संभावना-

राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच अशोक गहलोत सरकार ने एक ऑडियो टेप जारी किया है। इसको लेकर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए एक के बाद एक दो ट्वीट किए। उन्होंने इस ट्वीट के जरिए कांग्रेस को दगाबाज बताया। उन्होंने असंवैधानिक और गैर कानूनी करार देते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग तक कर डाली।

राजस्थान में कांग्रेस पर माया ने लगाया ‘छल’ का आरोप
दरअसल, कांग्रेस के प्रति मायावती की भड़ास बेवजह नहीं है। जब राजस्‍थान में अशोक गहलोत के नेतृत्‍व वाली सरकार बनी थी, तब बीएसपी के 6 विधायक सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे थे। कांग्रेस ने बाद में इन विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया। बीएसपी के इन विधायकों ने सोनिया गांधी से मिलकर पार्टी की औपचारिक सदस्यता ले ली थी। बीएसपी का मानना रहा कि कांग्रेस ने लालच और धमकी देकर उसके विधायकों को तोड़ा है। बीएसपी ने कांग्रेस के इस कदम की आलोचना की थी और पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अशोक गहलोत का इस्तीफा तक मांग लिया था। बीएसपी यह मुद्दा लेकर चुनाव आयोग के पास लेकर भी पहुंची थी लेकिन आयोग ने इस मामले में दखलअंदाजी से मना कर दिया था।

गुजरात में BSP के कदम से बीजेपी को होगा फायदा!
इसके साथ ही बीएसपी ने इस साल सितंबर में गुजरात में होने वाले उपचुनावों में सभी 8 सीटों पर कैंडिडेट उतारने का फैसला भी किया है। 2017 के गुजरात चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बाद बीएसपी तीसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी थी। दलित वोट बैंक पर मायावती की अच्छी पकड़ है और विशेषज्ञों के मुताबिक उपचुनाव में बीएसपी के उम्मीदवार कांग्रेस का नुकसान करेंगे, जिससे बीजेपी को फायदा होगा।

UP के सियासी गणित में समीकरण साधने की कोशिश
बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो यहां दलितों को बीएसपी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी को मिली प्रचंड सफलता के बीच भी बीएसपी के खाते में 10 सीट जीतने में कामयाब रही थी। हालांकि इस चुनाव में बीएसपी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। चुनाव के बाद इन दोनों विरोधी पार्टियों में अनबन भी हो गई थी।

मजदूरों की हालत के लिए भी कांग्रेस को ठहराया जिम्मेदार
इसके साथ ही गौर करने वाली बात यह भी है कि मायावती ने लॉकडाउन में मजदूरों की दुर्दशा के लिए कांग्रेस को पर हमलावर रूख अख्तियार किया था। उन्होंने लंबे समय तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी को मजदूरों के पलायन का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अगर अपने लंबे शासन काल के दौरान पार्टी ने उनकी रोजी-रोटी की सही व्यवस्था की होती, तो लोगों को दूसरे राज्यों में पलायन ही क्यों करना पड़ता? इसके साथ ही चीन के साथ सीमा विवाद में भी मायावती ने स्पष्ट कर दिया था कि वह केंद्र सरकार के साथ खड़ी हैं।

फिलहाल बीजेपी को किसी भी तरह का राजनीतिक नुकसान होता नहीं दिख रहा है लेकिन सियासत में ऊंट कब किस करवट बैठे, कुछ कहा नहीं जा सकता है। और मायावती के भी ऐसे ही किसी मौके की तलाश में बीजेपी की तरफ हाथ बढ़ाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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