सोनम कपूर की ‘द ज़ोया फैक्टर’ के फ्लॉप की वजह 2 बड़ी फिल्में हर फिल्म की एक जर्नी होती है और मेरा ऐसा मानना है कि फिल्म स्टार्स और स्टूडियो का सपॉर्ट एक हद तक आपकी फिल्म को सफल बनाने में मदद कर सकते हैं। फिल्म विधा में सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है, कहानी और डिस्ट्रीब्यूशन, जिससे दर्शक जुड़ते हैं। अब अगर मैं सोनम कपूर और दुलक़र सलमान स्टारर फिल्म द ज़ोया फैक्टर के फ्लॉप होने पर बात करूं तो इसकी वजह थी हमारी फिल्म के साथ थिअटर में पहले से मौजूद 2 बड़ी ही बेहतरीन फिल्में।
की फिल्म , 2019 की अच्छी फिल्म थी
सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म छिछोरे, जो मेरे हिसाब से साल 2019 की सबसे अच्छी फिल्म थी और की फिल्म ड्रीम गर्ल थी। यह दोनों ब्लॉकबस्टर फिल्में खूब चल रही थीं, इन्हें रिलीज़ हुए मुश्किल से एक हफ्ता हुआ था। इस बीच हमारी फिल्म द ज़ोया फैक्टर आई, साथ में अन्य 2-3 फिल्म और रिलीज़ हुई। अब ऐसे में दर्शकों की चॉइस में हमारी फिल्म नहीं थी, दर्शक हमारी फिल्म पैसा लगाकर नहीं देखना चाह रहे थे।
सोनम कपूर की ‘द ज़ोया फैक्टर’ को देखने ऑडियंश ही नहीं आई
हमारे सामने अगर कोई एक फिल्म होती तो शायद जनता हमारी फिल्म द ज़ोया फैक्टर देखने जाती। दर्शकों ने 2 चलती हुई फिल्मों को देखना ज्यादा पसंद किया, हमारे पास ऑडियंश ही नहीं आई। द ज़ोया फैक्टर पहले ही दिन से नहीं चल पाई थी, जब फिल्म पहले ही दिन न चले तो वर्ड ऑफ माउथ का सिलसिला हो ही नहीं सकता।
द ज़ोया फैक्टर ने बहुत कुछ सिखा दिया
इस असफलता से कहीं न कहीं यह सीखने को मिलता है कि फिल्म रिलीज़ के पहले दूरदर्शिता के साथ निर्णय लिया जाए। रिलीज़ कब करना है, फिल्म की मार्केटिंग कैसे करनी है, यह सब बहुत सोचना चाहिए, द ज़ोया फैक्टर ने बहुत कुछ सिखा दिया। दुर्भाग्य था हमारा कि द ज़ोया फैक्टर थिअटर में नहीं चली, लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स में लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
मैं खुद को ब्रैंड जैसा कुछ नहीं बनाना चाहता
मैं अलग-अलग तरह के जॉनर की, नई-नई कहानियों पर फिल्में बनाता रहा हूं। मैं खुद को ब्रैंड जैसा कुछ नहीं बनाना चाहता। अगर मैं ब्रैंड बन जाऊंगा तो लोग मुझसे उसी तरह की, एक जैसी फिल्मों और कहानियों की उम्मीद रखेंगे, जो एक निर्देशक के तौर पर मुझे ठीक नहीं लगती है। एक ब्रैंड बहुत ज्यादा प्रिडिक्टबल होता है, जैसे कोकाकोला या थम्सअप की बॉटल खोलेंगे तो आपको वही टेस्ट मिलेगा।
फिल्म फ्लॉप होती है तो नुकसान होता है, फीस कम हो जाती है
यह जो ब्रैंड होता है, वह प्रॉडक्ट के साथ ठीक लगता है। मैं एक आर्टिस्ट हूं, खुद को ब्रैंड नहीं बनाना चाहता हूं। मैं चाहता हूं लोगों को हर बार मेरी फिल्म से एक नया अनुभव मिले और खुद भी एक नया अनुभव प्राप्त करूं। यह जरूर है कि जब एक फिल्म फ्लॉप होती है तो हमें भी नुकसान होता है, जैसे एक ऐक्टर को होता है। अब हमें उस फ्लॉप के डर के साथ भी नहीं जीना है, अलग-अलग प्रयोग करना होगा, तभी एक आर्टिस्ट के तौर पर आगे बढ़ेंगे।
सक्सेस को दिमाग में नहीं चढ़ाना चाहिए और फेलियर को दिल से नहीं लगाना चाहिए
फिल्म फ्लॉप होने से आपको मिलने वाली फीस पर फर्क पड़ता है, लेकिन जब आप 10 सालों का ग्राफ देखते हैं तो सुकून मिलता है। द ज़ोया फैक्टर नहीं चली तो मैं नया प्रयोग करने में नहीं डरूंगा, लगातार प्रयोग करता रहूंगा। हमें सक्सेस को दिमाग में नहीं चढ़ाना चाहिए और फेलियर को दिल से नहीं लगाना चाहिए।
OTT पर नहीं रिलीज़ करूंगा ‘सूरज पे मंगल भारी’ को
अभिषेक शर्मा, इस समय अपनी अगली फिल्म ‘सूरज पे मंगल भारी’ की एडिटिंग और मार्केटिंग की तैयारी में जुटे हैं। फिल्म में मनोज बाजपेयी, दिलजीत दोसांझ और फातिमा सना शेख मुख्य भूमिका में नजर आएंगे। फिल्म की शूटिंग देश में लॉकडाउन से पहले पूरी हो गई थी। लॉकडाउन की वजह से तमाम फिल्में ओटीटी पर रिलीज़ हो रही हैं, ऐसे में अभिषेक फिल्म की रिलीज़ को लेकर कहते हैं, ‘हम लॉकडाउन के बाद सूरज पे पंगल भारी’ को रिलीज़ करेंगे। मैंने यह फिल्म बड़े कैनवास के लिए बनाई है। इस समय तो अपनी फिल्म को OTT प्लेटफॉर्म में रिलीज़ को लेकर बिल्कुल भी तैयार नहीं हूं।’