लद्दाख, पूर्वोत्तर के बाद अब भारत और चीन के बीच विवाद विवाद का एक और केंद्र बिन्दू पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर बन सकता है। दरअसल, पीओके के गिलगिट -बाल्टिस्तान इलाके में चीन ने अपने सदाबहार मित्र पाकिस्तान के लिए दियामेर भाषा बांध बनाना शुरू किया है। भारत के कड़े विरोध के बाद भी चीन ने इस बांध का निर्माण शुरू किया है।
पाकिस्तान पिछले 50 साल से इस बांध को बनाना चाहता था लेकिन वह इसे पूरा नहीं कर पा रहा था। अब चीन इसे पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत से काम करने जा रहा है। यह बांध वर्ष 2028 तक पूरा होगा और इस पर करीब 8 अरब डॉलर की लागत आएगी। बताया जा रहा है कि बांध के बनने पर 4500 मेगावॉट बिजली का निर्माण होगा। चीन यह बांध चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के तहत बना रहा है। गिलगिट-बॉल्टिस्तान इलाके से होकर ही चीन के लिए रास्ता जाता है।
प्रॉजेक्ट का 70 % खर्चा भी चीन की सरकारी कंपनी कर रही
इस पूरे प्रॉजेक्ट का 70 % खर्चा भी चीन की सरकारी कंपनी चाइना पावर कर रही है। वहीं 30 फीसदी खर्च पाकिस्तानी सेना की व्यवसायिक इकाई फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन करेगी। चीन ने पिछले दो महीने में पाकिस्तान के साथ दो समझौतों पर हस्ताक्षर किया है। इसके तहत वह सीधे तौर पर पीओके में 4 अरब डॉलर का निवेश करेगा। इसके जरिए चीन पीओके के अंदर 1800 मेगावॉट की पनबिजली परियोजनाओं को विकसित करेगा।
चीन के इस कदम पर अमेरिका के विल्सन सेंटर के एशिया मामलों के डेप्युटी डायरेक्टर माइकल कुगलमैन कहते हैं कि यह भारत के बड़ा झटका है। उन्होंने कहा, ‘इस कदम से पहले से ही बेहद तनावपूर्ण चल रहे भारत और चीन के रिश्ते और ज्यादा खराब हो जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि इसे हम इस तरह से भी कह सकते हैं कि पीओके को लेकर भारत की मौखिक धमकी के बाद अब चीन और पाकिस्तान ने मिलकर खुली चुनौती दी है।
भारत सरकार ने पीओके में बांध बनाने पर कड़ा ऐतराज जताया
भारत सरकार ने पीओके में चीन के बांध बनाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। भारत का कहना है कि यह इलाका उसके केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है। पीओके में चीनी बांध बनाने का स्थानीय लोग जोरदार विरोध कर रहे हैं लेकिन इमरान सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। पाकिस्तान की सरकार ने कश्मीर के सुधानोटी जिले में झेलम नदी पर आजाद पट्टान हाइड्रो प्रॉजेक्ट का ऐलान किया है। यह बांध चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का हिस्सा है। इस प्रॉजेक्ट को कोहाला हाइड्रोपावर कंपनी ने डिवेलप किया है जो चीन की तीन गॉर्गेज कॉर्पोरेशन की इकाई है। समझौते पर दस्तखत के समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी और चीन के राजदूत याओ जिंग शामिल थे।