टोक्योखराब मौसम के कारण स्थगित हुए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के पहले मंगलयान का प्रक्षेपण अब सोमवार को किया जाएगा। मित्सुबिशी हैवी इंडस्ट्रीज (एमएचआई) ने कहा कि यूएई के मंगलयान का नाम ‘अमल’ या Hope है, जिसे जापान के एच-2ए रॉकेट के जरिए बुधवार को दक्षिणी जापान के तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से रवाना किया जाना था लेकिन खराब मौसम के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। अब सोमवार सुबह छह बजकर 58 मिनट पर इसका प्रक्षेपण किया जाएगा। मौसम पर निर्भर करेगा लॉन्चमित्सुबिशी ने बताया कि हालांकि इसके फिर से स्थगित होने का भी खतरा है लेकिन यह मौसम पर निर्भर करेगा। जापान के बड़े हिस्से में करीब एक सप्ताह से भारी बारिश हो रही है जिसके चलते भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति बन गई है। ‘होप’ को फरवरी 2021 तक मंगल पर पहुंचना है, जब यूएई अपनी 50वीं वर्षगांठ मनाएगा। इस मंगलयान में ऊपरी वायुमंडल और जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए तीन उपकरण हैं और इसके कम से कम दो साल तक लाल ग्रह के चक्कर लगाने की योजना है। यूएई ने कहा कि वह पहली बार अलग-अलग मौसमों के दौरान मंगल ग्रह के वायुमंडल का पूरा दृश्य मुहैया कराएगा। अगर यह मिशन सफल होता है तो ऐसा करने वाले यूएई पहला अरब देश होगा।
होप का विजिबल लाइट कैमरा और Infrared Spectrometer मंगल के निचले वायुमंडल में बादलों और धूल की आंधियों को स्टडी करेगा और इसका Ultraviolet Spectrometer ऊपरी वायुमंडल में गैसों को मॉनिटर करेगा। दो साल के मिशन के दौरान होप हर दिन के मौसम में बदलाव और सीजन्स के आने-जाने को ट्रैक करेगा। मिशन के दौरान यह भी पता लगाया जाएगा कि कैसे वायुमंडल की वजह से हाइड्रोजन और ऑक्सिजन स्पेस में जाती है। इससे वैज्ञानिक मंगल की जलवायु को समझ सकेंगे और इस राज से भी पर्दा उठेगा कि कभी काफी घना रहा मंगल का वायुमंडल आखिर कैसे खत्म हो गया। इससे भविष्य में दूसरे ह्यूमन मिशन्स की तैयारी में मदद मिलेगी।
होप का विजिबल लाइट कैमरा और Infrared Spectrometer मंगल के निचले वायुमंडल में बादलों और धूल की आंधियों को स्टडी करेगा और इसका Ultraviolet Spectrometer ऊपरी वायुमंडल में गैसों को मॉनिटर करेगा। दो साल के मिशन के दौरान होप हर दिन के मौसम में बदलाव और सीजन्स के आने-जाने को ट्रैक करेगा। मिशन के दौरान यह भी पता लगाया जाएगा कि कैसे वायुमंडल की वजह से हाइड्रोजन और ऑक्सिजन स्पेस में जाती है। इससे वैज्ञानिक मंगल की जलवायु को समझ सकेंगे और इस राज से भी पर्दा उठेगा कि कभी काफी घना रहा मंगल का वायुमंडल आखिर कैसे खत्म हो गया। इससे भविष्य में दूसरे ह्यूमन मिशन्स की तैयारी में मदद मिलेगी।