दुनिया के पहले परमाणु बम के परीक्षण के 75 साल पूरे हो गए। अमेरिका ने 16 जुलाई 1945 को अपना पहला परमाणु परीक्षण करके दुनिया की दशा और दिशा बदल दी। परमाणु परीक्षण के बाद परमाणु ऊर्जा से बनी बिजली जहां वरदान साबित हुई, वहीं जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में लाखों लोगों को इस महाविनाशक हथियार के कहर से अपनी जान गंवानी पड़ी। अमेरिकी परमाणु परीक्षण के 75 साल बाद आज पूरी दुनिया एक बार फिर से ब्रह्मास्त्र को बनाने की अंधी दौड़ में तेज हो गई है। दक्षिण चीन सागर से लेकर लद्दाख तक बढ़ते तनाव की वजह से दुनिया में तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा मंडराने लगा है।
भौतिक विज्ञानी जे. रॉबर्ट आइजनहॉवर के नेतृत्व में अमेरिका ने आज से 75 साल पहले 16 जुलाई 1945 को न्यू मेक्सिको के रेगिस्तान में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। इस मिशन को नाम दिया गया था ‘ट्रिनिटी’। वहीं परमाणु बम को ‘द गैजेट’ नाम दिया गया था। आइजनहॉवर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया और महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोध किया। इसके बाद उन्होंने अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी (त्रिदेव) दिया था। अमेरिका का यह परमाणु बम 21 किलोटन का था जो 21 हजार टीएनटी विस्फोटक के बराबर था। इस विस्फोट के बाद 38 हजार फुट ऊंचा धुएं का गुबार उठा था। इस बम को 27 महीने की कड़ी मेहनत के बाद लॉस अलमोस के सीक्रेट लैब में बनाया गया था।
अमेरिका के पहले परमाणु बम के परीक्षण के बाद दुनिया में इस महाविनाशक हथियार को बनाने की होड़ लग गई। आलम यह है कि अमेरिका 28 साल बाद एक बार फिर से परमाणु बमों के परीक्षण को शुरू करना चाहता है। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कोल्ड वॉर के समय के परमाणु बमों की संख्या को कम करने के बाद भी दुनिया में कुल नौ परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्रों के पास 13410 परमाणु बम हैं। इनमें से अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के 1800 परमाणु बम एकदम अलर्ट मोड में रखे गए हैं जो कभी भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। ये परमाणु बम हिरोशिमा और नागासाकी की तुलना में कई गुना ज्यादा घातक हैं। इन परमाणु बमों से कई बार पूरी धरती को नष्ट किया जा सकता है।
दुनिया की दो सुपर पावर अमेरिका और रूस के पास कुल 91 फीसदी परमाणु बम हैं। वर्ष 1986 में कोल्ड वॉर जब अपने पीक पर था तब परमाणु बमों की यह संख्या बढ़कर करीब 70300 पहुंच गई थी। इसके बाद अमेरिका और रूस दोनों ने ही परमाणु बमों की संख्या को घटाया है। ये दोनों देश अब अपने परमाणु हथियारों की संहारक क्षमता को और ज्यादा बढ़ाने पर तेजी से काम कर रहे हैं। रूस के पास इस समय कुल 6,372 और अमेरिका के पास 5,800 एटम बम हैं। फ्रांस के पास 290, चीन के पास 320, ब्रिटेन के पास 195, पाकिस्तान के पास 160, भारत के पास 150, इजरायल के पास 90 और उत्तर कोरिया के पास 35 एटम बम हैं।
दुनिया में सुपर पावर बनने की महत्वाकांक्षा रखने वाला चीनी ड्रैगन अब बहुत तेजी से अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है। आलम यह है कि चीन अब पहली बार जमीन, हवा और समुद्र से दागे जाने वाले परमाणु हथियारों को बना रहा है। उधर, चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौती से निपटने के लिए भारत ने भी कमर कस ली है और परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा रहा है। परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था सिप्री की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन दोनों ने ही पिछले साल अपने परमाणु हथियारों के जखीरे में इजाफा किया है। हालांकि भारत के परमाणु हथियार चीन के आधे से भी कम हैं। पाकिस्तान अभी भी परमाणु हथियारों के मामले में भारत से थोड़ा आगे है। पाकिस्तान के पास कुल 160 परमाणु हथियार हैं।
सिप्री ने कहा कि चीन अब अपने परमाणु हथियारों का सार्वजनिक तौर पर और ज्यादा प्रदर्शन कर रहा है। हालांकि चीन अपने परमाणु हथियारों के विकास के बारे में बहुत कम जानकारी साझा करता है। चीन बहुत तेजी से अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को आधुनिक बना रहा है और संख्या बढ़ा रहा है। चीन पहली अपनी न्यूक्लियर ट्रायड की क्षमता को बढ़ा रहा है ताकि जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हथियारों को दागा जा सके। चीन ने नई जमीन और समुद्र से दागी जाने वाली मिसाइलें बनाई हैं और परमाणु हथियार ले जाने वाला एयरक्राफ्ट बनाया है।