भारत के खिलाफ विवादित बयान देकर सत्ता बचाने की कुटिल चाल चल रहे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भविष्य पर आज फैसला हो सकता है। नेपाल में सत्तारूढ़ की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की बैठक होने जा रही है जिसमें ओली विरोधी पुष्प कमल दहल का बहुमत है। इस बीच बताया जा रहा है कि कई दौर की बातचीत के बाद भी ओली झुकने को तैयार नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच विवाद अब पार्टी के सेंट्रल कमिटी तक पहुंच सकता है।
गुरुवार को ओली और प्रचंड ने पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल की मौजूदगी में वार्तालाप किया। माधव कुमार नेपाल भी दोनों के बीच मतभेदों को कम करने में सफल नहीं हुए। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक तीनों नेताओं ने सभी विवादित मुद्दों पर चर्चा की और अब इसे सेंट्रल कमिटी के ऊपर छोड़ा जा सकता है। सेंट्रल कमिटी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है जिसके 445 सदस्य हैं।
सेंट्रल कमिटी में 30 प्रतिशत सदस्य ही ओली के पक्ष में
दहल और माधव कुमार नेपाल के धड़े को उम्मीद है कि सेंट्रल कमिटी में उनके पक्ष में फैसला होगा। सेंट्रल कमिटी में केवल 30 प्रतिशत सदस्य ही ओली के पक्ष में हैं। इससे पहले नेपाल में सत्ता साझेदारी पर नए समझौते के लिए प्रधानमंत्री ओली और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के कार्यकारी प्रमुख प्रचंड के बीच गुरुवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही। सत्तारूढ़ पार्टी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की एक अहम बैठक की पूर्व संध्या पर पार्टी के दोनों शीर्ष नेताओं के बीच यह बातचीत हुई।
पीएम ओली पद से इस्तीफा देने या एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने, दोनों से ही इनकार कर रहे हैं। पार्टी के अध्यक्ष ओली, प्रचंड और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने बालूवाटार में प्रधानमंत्री आवास पर एक अनौपचारिक बैठक की। स्थायी समिति के सदस्य गणेश शाह ने कहा कि हालांकि, तीनों नेता किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहे। इससे पहले, प्रधानमंत्री ओली और असंतुष्ट समूह का नेतृत्व कर रह रहे प्रचंड अपनी-अपनी मांगों पर अड़े रहे।
सत्ता साझेदारी पर पहुंचने में ओली और प्रचंड नाकाम रहे
हाल के हफ्तों में कम से कम आठ दौर की वार्ता होने के बाद भी सत्ता साझेदारी पर पहुंचने में ओली और प्रचंड नाकाम रहे। शुक्रवार को होने वाली स्थायी समिति की बैठक में 68 वर्षीय प्रधानमंत्री के राजनीतिक भविष्य पर निर्णय होने की संभावना है। ओली ने आरोप लगाया है कि भारत की मदद से उन्हें पद से हटाने की कोशिश की जा रही है।
प्रचंड सहित पार्टी के नेताओं ने प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि भारत विरोधी उनकी हालिया टिप्पणी ‘ना तो राजनीतिक रूप से सही है और ना ही कूटनीतिक रूप से उपयुक्त है।’ वे ओली के कामकाज करने की निरंकुश शैली के भी खिलाफ हैं। प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने भी कहा कि बातचीत बेनतीजा रही, जबकि नेताओं ने करीब दो घंटे बैठक की। नेपाली मीडिया के मुताबिक एनसीपी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति में प्रचंड के गुट को 30 से अधिक सदस्यों का समर्थन प्राप्त है।