चार साल में एक बार होने वाले ओलिंपिक में भारतीय टीम ने आखिरी बार सफलता का स्वाद 40 साल पहले मास्को ओलिंपिक में स्वर्ण जीत कर चखा था। अपने 14 साल के करियर में टीम की सफलता और असफलता को करीब से देखने वाले श्रीजेश ने हालांकि माना कि हाल के दिनों में भारतीय टीम में काफी सुधार हुआ हैं।
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‘हम किसी भी टीम को हरा सकते हैं’हॉकी इंडिया से जारी बयान में उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अब बहुत अंतर (दूसरी टीमों से तुलना में) नहीं है, हमने इस साल की शुरूआत में एफआईएच प्रो लीग में ऐसा कर दिखाया है। हम किसी को भी हरा सकते हैं, सिर्फ हरा ही नहीं सकते है बल्कि हमारे खेल की शैली उन पर हावी हो सकती है।’
‘मेरे लिए सबसे बड़ा टूर्नमेंट’उन्होंने कहा, ‘अभी तैयारियों के लिए एक साल (तोक्यो ओलिंपिक) का समय है। यह मेरे लिए सबसे बड़ा टूर्नमेंट होगा और मुझे लग रहा है कि यह भारतीय हॉकी के लिए काफी अहम साल होगा।’
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तोक्यो से काफी उम्मीदेंश्रीजेश ने कहा, ‘अगर हम अगले साल तोक्यो में अपनी क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन करते हैं तो हम वास्तव में ओलिंपिक पदक को अपने देश में वापस ला सकते हैं।’ भारत के लिए 2012 और 2016 में ओलिंपिक में प्रतिनिधित्व कर चुके 32 साल के इस अनुभवी गोलकीपर ने माना कि वह अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर हैं और उन्हें एक साल के लिए स्थगित किए गए तोक्यो ओलिंपिक से काफी उम्मीदें हैं।
फिटनेस कई टीमों से बेहतरपूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, ‘तोक्यो ओलिंपिक का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं। हम अपने खेल के विभिन्न पहलुओं में सुधार लाने में कामयाब रहे। हमारी फिटनेस दुनिया की ज्यादातर दूसरी टीमों से बेहतर है।’
‘अटैक में आई है तेजी’भारतीय टीम का 2016 ओलिंपिक में नेतृत्व करने वाले श्रीजेश ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमने तकनीकी चीजों में सुधार के साथ एक अच्छी संरचना बनाई है। हमारे आक्रमण में तेजी आई है और विविधता बढ़ी हैं। मैं देख रहा हूं कि कई युवा खिलाड़ी शीर्ष टीमों के खिलाफ असाधारण प्रदर्शन कर रहे हैं, जो कि शायद ही आपने पहले कभी देखा होगा।’
लंदन ओलिंपिक को नहीं भुला सकताउन्होंने कहा, ‘मैंने अपने करियर के दौरान देश के लिए ओलिंपिक पदक जीतने का सपना देखा है। मुझे पहली बार ओलिंपिक में खेलने का मौका लंदन 2012 में मिला था। मैं उस अनुभव को कभी नहीं भुला सकता।’