भारतीय क्रिकेट का रियल सिकंदर () को ही माना जाता है। कपिल टीम इंडिया के पहले ऐसे फास्ट बोलर थे, जिन्होंने बतौर तेज गेंदबाज दुनिया में अपनी पहचान बनाई। कपिल से पहले भारतीय क्रिकेट स्पिनर्स पर भी निर्भर होती थी। कपिल देव ने बताया कि अंडर-19 के दिनों में भारतीय क्रिकेट से जुड़े एक अधिकारी से उनकी बहस हो गई थी। इसके बाद उन्होंने तय कर लिया कि अब उन्हें फास्ट बोलर बनकर ही उन्हें दिखाना है।
हाल ही कपिल देव पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान में महिला भारतीय टीम के कोच WV रमन () के यूट्यूब चैनल ‘इनसाइड आउट विद WV रमन’ में बात करने के लिए मुखातिब हुए। यहां रमन ने कार्यक्रम की शुरुआत में ही कपिल देव से उनके फास्ट बोलर बनने की कहानी पूछी।
कपिल देव ने बताया, ‘स्कूल के दिनों में ही मेरी लंबाई और शरीर अच्छा था। तब हम क्रिकेट खेलते थे तो स्कूल मैनेजमेंट ने ही मेरी ओर नया बॉल फेंक दिया। हट्टे-कट्टे शरीर का मतलब था कि फास्ट बोलिंग करो। मैंने पहला ही गेंद फेंका तो उसकी स्पीड देखकर वहां मौजूद लोगों ने बहुत तारीफ की और उन्होंने मुझे फास्ट बोलिंग करने के लिए ही प्रेरित किया।’
देखें- WV रमन के साथ कपिल देव का यह पूरा इंटरव्यू
लेकिन फास्ट बोलर बनने का असली किस्सा यह नहीं था वह था अंडर 19 क्रिकेट का एक कैंप। यहां कपिल देव अंडर 19 कैंप में पहुंचे हुए थे तो उनकी किसी बात पर भारतीय क्रिकेट के एक अधिकारी से बहस हो गई। इस दौरान उस अधिकारी ने कपिल से पूछ लिया कि आखिर आप करते क्या हैं। उन्होंने कहा कि मैं फास्ट बोलर हूं। इस अधिकारी ने कपिल देव को प्रोत्साहन देने की बजाए उनका मनोबल गिराने का प्रयास किया और कहा, ‘भारत में तो कभी कोई फास्ट बोलर हुए ही नहीं हैं।’
कपिल ने यहां मन ही मन यह तय कर लिया कि उन्हें इस व्यक्ति को गलत साबित करना है और टीम इंडिया में बतौर फास्ट बोलर खेलकर दिखाना है। अपने करियर की शुरुआत में भारतीय टीम इस युवा तेज गेंदबाज पर बहुत निर्भर होती थी। सचिन टीम इंडिया की फील्डिंग के दौरान प्रतिदिन 30-30 ओवर बोलिंग किया करते थे। कपिल ने कहा कि उन दिनों मुझे फास्ट बोलिंग करने का बहुत शौक था और मैं 30-30 ओवर फेंकने का आदी अपनी घरेलू टीम से ही था। इसलिए मुझे बोलिंग करने में खूब मजा आता था।