अलविदा दोस्त…हेडिंग से लिखा ब्लॉग
ऋचा ने ट्विटर पर ब्लॉग शेयर किया है, इसको कैप्शन दिया है अलविदा दोस्त… साथ में लिखा है कि कृपया तभी पढ़ें जब आप बदलाव को लेकर गंभीर हों…किसी के लिए द्वेष के साथ नहीं और सबके लिए प्यार के साथ। ऋचा ने साहीर लुधियानवी की लाइनों के साथ ब्लॉग शुरू किया है…
यहाँ इक खिलौना है
इन्सां की हस्ती
ये बस्ती है मुर्दा-परस्तों की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
लिखा है, साहिर लुधियानवी के ये शब्द फातिहे की तरह बीते महीने से मेरे कानों में गूंज रहे हैं।
‘इनसाइडर’ या ‘आउटसाइडर’ नहीं बल्कि…
ऋचा ने लिखा है, कहा जा रहा है कि इंडस्ट्री ‘इनसाइडर्स’ और ‘आउटसाइडर्स’ में बंटी है? मेरे नजरिये में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और पूरा इको सिस्टम सिर्फ दयालु और क्रूर लोगों में बंटा है। ऋचा लिखती हैं, कई डायरेक्टर्स को एक महीने पहले शोकभरे मेसेज शेयर करते देखा। इनमें से कई ने अपने साथ के लोगों की फिल्में रिलीज से पहले बर्बाद कीं, आखिर वक्त पर उन ऐक्ट्रेसस को रिप्लेस किया, जिन्होंने उनके साथ सोने से मना कर दिया और कई ने बार-बार भविष्यवाणी की ‘इसका कुछ नहीं होगा’। ऐसे ही दूसरों का भविष्य देखने वाले आखिर में अपने चेहरे पर अंडे से भुर्जी बनाकर बैठते हैं। आप ईश्वर नहीं हैं। दुनिया को थकेपन और मानवद्वेष फैलाने वाली बातों से संक्रमित करना बंद कीजिए।
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