जम्मू-कश्मीर में 4 जी सेवा की बहाली पर फैसला लेने के किए इस साल मई में ने केंद्र और राज्य प्रशासन को एक कमिटी बनाने का फैसला किया था। इस मामले में कोर्ट के आदेश का कथित तौर पर पालन न होने की दलील देते हुए कुछ याचिकाकर्ताओं ने अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी, जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान जम्मू-कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने जम्मू-कश्मीर में 4 जी सुविधाएं बहाल करने पर विचार के लिए स्पेशल कमिटी का गठन किया है।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से हाई स्पीड 4 जी सेवा सस्पेंड है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अदालत ने 11 मई को जो आदेश पारित किया था उस पर अथॉरिटी ने अमल किया है ऐसे में कंटेप्ट का मामला नहीं बनता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुआई वाली बेंच ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कहा है कि वह हलफनामा दायर कर बताएं कि कमिटी का गठन कर लिया गया है और कमिटी ने क्या फैसला किया है, उस बारे में भी बताया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सरकार को नोटिस जारी नहीं किया।
कोरोना के कारण लॉकडाउन में जम्मू-कश्मीर में 4 जी इंटरनेट सेवा बहाल करने की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह होम मिनिस्ट्री के सेक्रटरी की अगुआई में एक स्पेशल कमिटी का गठन करे जो इस इस मामले में उठाए गए सवाल को देखे। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा और उस इलाके में लोगों के मानवाधिकार के बीच संतुलन कायम करने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर में 4 जी सेवा बहाल करने की गुहार लगाते हुए कहा गया था कि लॉकडाउन में डॉक्टर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सलाह लेने के लिए इसकी दरकार है और ये जीवन से जुड़ा सवाल है। साथ ही कहा गया था कि लॉकडाउन में वहां बच्चों का स्कूल ऑनलाइन चल रहा है और इसके लिए भी 4 जी की दरकार है। वहीं केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि जम्मू-कश्मीर में 4 जी सर्विस इसलिए रोकी गई क्योंकि राष्ट्रहित सर्वोपरि है। आतंकवादी इसका गलत इस्तेमाल न करें इसलिए 4 जी रोका गया है।
सुप्रीम कोर्ट में अवमानना अर्जी दाखिल कर कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया और 4 जी सेवा शुरू करने को लेकर स्पेशल कमिटी नहीं बनाई गई जिसे 4 जी सेवा बहाल करने के बारे में फैसला करना था। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों की ओर से ऐडवोकेट हुजेफा अहमदी ने जैसे ही दलील शुरू की तब कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर कमिटी ने इस मामले में फैसला ले लिया है तो उसे पब्लिक डोमेन में डाला जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि अगर 11 मई के आदेश का पालन हुआ है तो उस बारे में पब्लिक डोमेन में बताया जाए।