ने के निपटारे के लिए गाइडलाइंस तय करने की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि दया याचिका के निपटारे के लिए गाइडलाइंस तय होना चाहिए। फांसी की सजा पर अमल के लिए समय सीमा तय किया जाना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए अर्जी दाखिल की गई है।
मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता ने पांच बच्चों की हत्या मामले में फांसी की सजा पाए दो बहनों का मामला उठाया है। जिसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट ने फांसी कन्फर्म किया था, जिसके बाद दया याचिका दायर की गई थी और 2014 में दया याचिका दायर किए जाने के बाद फांसी के अमल पर रोक लगाई गई थी और मामला अभी पेंडिंग है। इस केस का हवाला देकर दया याचिका के निपटारे के लिए गाइडलाइंस तय किए जाने और फांसी पर अमल के लिए समय-सीमा तय किए जाने की गुहार लगाई गई है।
इससे पहले 27 मई को सुप्रीम कोर्ट में वकील शिव कुमार त्रिपाठी ने ऐसी ही याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एस.ए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने होम मिनिस्ट्री से चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था। याचिका में कहा गया था कि मर्सी पिटिशन के निपटारे के लिए कोई तय नियम और समय-सीमा नहीं है, न ही कोई तय मानक है इसके लिए गाइडलाइंस होना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि इसके लिए कोई तय प्रकिया यानी फॉर्मेट की आवश्यकता नहीं है लेकिन टाइम बाउंड होना चाहिए। हालांकि मामले में राष्ट्रपति को कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है।