एक ओर जहां पूरी दुनिया के वैज्ञानिक, डॉक्टर और रिसर्चर कोरोना वायरस का तोड़ खोजने में लगे हैं, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने रूस पर वैक्सीन रिसर्च चोरी करने की कोशिश का आरोप लगाया है। तीनों देशों का दावा है कि रूस मेडिकल संगठनों और यूनिवर्सिटीज पर साइबर हमले कर रिसर्च चुराने की कोशिश कर रहा है। खास बात यह है कि अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा रूस ने भी दावा किया है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन शुरुआती ट्रायल में असरदार निकली है।
हमलों के पीछे Cozy Bear नाम का ग्रुप
तीनों देशों का कहना है कि रूस इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुराने की कोशिश में साइबर हमले कर रहा है ताकि वह सबसे पहले या उनके साथ-साथ ही कोरोना वायरस वैक्सीन विकसित कर सके। तीनों ने गुरुवार को एक संयुक्त बयान जारी कर दावा किया है कि APT29 (Cozy Bear) नाम के हैकिंग ग्रुप ने अभियान छेड़ रखा है। सिक्यॉरिटी चीफ का दावा है कि यह ग्रुप रूस की खुफिया एजेंसियों का हिस्सा है और क्रेमलिन के इशारे पर काम करता है।
‘नहीं स्वीकार किया जाएगा रूस का हमला’
अभी तक इस बारे में जानकारी नहीं दी गई है कि ये साइबर हमले कहां किए गए हैं लेकिन माना जा रहा है कि फार्मासूटकिल और ऐकडेमिक संस्थानों को निशाना बनाया गया है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस आधिकारिक बयान से कूटनीतिक स्तर पर तनाव बढ़ सकता है जो पहले से ही ब्रिटेन और रूस के बीच गहराया हुआ है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने कहा है कि सहयोगियों के साथ मिलकर इन हमलों के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की महामारी से लड़ रहे संस्थानों पर रूस की खुफिया एजेंसियों का हमला करना स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुराने की कोशिश
ब्रिटेन के नैशनल साइबर सिक्यॉरिटी सेंटर (NCSC) ने दावा किया है कि Cozy Bear रूस की खुफिया एजेंसियों का हिस्सा है। NCSC का कहना है कि इन हमलों में सरकारी, कूटनीतिक, थिंक-टैंक, हेल्थकेयर और एनर्जी से जुड़े संस्थानों को निशाना बनाया जा रहा है ताकि इंटलेक्टुअल प्रॉपर्टी चुराई जा सके। इस दावे का अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्यॉरिटी, साइबर सिक्यॉरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर सिक्यॉरिटी एजेंसी, नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी और कनाडा के कम्यूनिकेशन सिक्यॉरिटी इस्टैबलिशमेंट ने भी समर्थन किया है।
अमेरिका, ब्रिटेन और रूस में वैक्सीन सफल
गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना वायरस वैक्सीन के मामले में तीनों देशों को शुरुआती सफलता मिली है। ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और Astrazeneca की वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 (अब AZD1222) के इंसानों पर किए गए सबसे पहले ट्रायल में ऐंटीबॉडी और वाइट ब्लड सेल्स (Killer T-cells) विकसित होते पाए गए। वहीं, अमेरिका की Moderna Inc की वैक्सीन mrna1273 के ट्रायल में भी ऐंटीबॉडी पाई गईं। वहीं, रूस भी अपनी एक्सपेरिमेंटल कोरोना वायरस वैक्सीन की 20 करोड़ डोज बनाने की तैयारी में है। रिसर्चर्स ने पाया है कि यह इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है और प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित कर रही है। हालांकि, यह प्रतिक्रिया कितनी मजबूत है, इसे लेकर संशय है।