भारतीय उच्चायोग के दो अधिकारियों ने जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक से मुलाकात की। इस मुलाकात का एक मकसद जाधव को सुनाई गई मौत की सजा के खिलाफ इस्लामाबाद हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका पर दस्तखत करवाना था। अब भारत को अपने दोनों राजनियकों की तरफ से आने वाली रिपोर्ट का इंतजार है, जिसके बाद यह साफ हो जाएगा कि यह मीटिंग कितना सार्थक रहा। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि रिपोर्ट मिलते ही वो बयान देंगे।
अनजान जगह पर जेल में मुलाकात
बहरहाल, इस मुलाकात के लिए जाधव को एक ‘सब-जेल’ में रखा गया है जिसकी लोकेशन गुप्त रखी गई। यहां दोपहर 3 बजे उनकी मुलाकात पाकिस्तानी अधिकारियों की मौजूदगी में भारतीय राजनयिकों- डेप्युटी हाई कमिश्नर गौरव अहलूवालिया और फर्स्ट जनरल सेक्रटरी चेराकुंग जेलियांग से हुई। दोनों अधिकारी जिस गाड़ी से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय पहुंचे थे, उसे वहीं छोड़ दिया गया और इस ‘सब-जेल’ तक उन्हें दूसरी गाड़ी में ले जाया गया।
‘बिना किसी रोकटोक मुलाकात’
भारतीय अधिकारियों को जाधव से सिर्फ अंग्रेजी में बात करने के लिए कहा गया था। पाकिस्तान का कहना है कि उसने भारतीय अधिकारियों-जाधव के बीच बातचीत में टोकाटाकी नहीं की। पाकिस्तान की ओर से बयान जारी कर यह भी कहा गया है कि इससे पहले 2019 में भारत को पहली राजनयिक पहुंच दी गई थी और 2017 में जाधव की मां और पत्नी को उनसे मिलने दिया गया था।
जाधव को याचिका दाखिल करने की इजाजत
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार देर शाम कुलभूषण जाधव को मौत की सजा के खिलाफ अपील करने की अनुमति दे दी थी। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार देर शाम कहा था कि अपील और समीक्षा याचिका को जाधव या उनके कानूनी प्रतिनिधि या इस्लामाबाद में भारत के काउंसलर अधिकारी दायर कर सकते हैं।