नई दिल्लीसभी दवाओं पर जल्दी ही क्विक रिस्पांस (QR) कोड देखने को मिल सकता हैं। इससे यह पता चल सकेगा कि दवा असली है या नकली। साथ ही उनकी ट्रैकिंग भी की जा सकेगी। सूत्रों के मुताबिक इस बारे में एक समिति का गठन कर दिया गया है जो इसकी रूपरेखा तैयार करेगी। क्यूआर कोड (QR code) से दवाओं की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग में मदद मिलती है और इससे नकली और घटिया दवाओं के मरीज तक पहुंचने की संभावना कम हो जाती है।
प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग, कॉमर्स मिनिस्ट्री, डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स और स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रतिनिधियों की पिछले सप्ताह बैठक हुई जिसमें इस मामले को निपटाने और इस बारे में जल्दी ही एक अधिसूचना जारी की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य सचिव की अगुआई में एक समिति का गठन किया गया है जो 21 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी।
2011 से क्यूआर कोड की कोशिशसरकार 2011 से ही शुरू करने की कोशिश कर रही है लेकिन दवा कंपनियों और लॉबी ग्रुप्स ने ट्रेसिंग और ट्रैकिंग बारे में विभिन्न विभागों द्वारा जारी दिशानिर्देशों पर चिंता जताई थी। उनका कहना था कि इसके लिए एक सिंगल क्यूआर कोड सिस्टम होना चाहिए। एक सूत्र ने कहा, ‘इस पर बहुत कनफ्यूजन था। आखिरकार यह मामला सुलझ जाएगा। हाल की बैठक में यह फैसला हुआ कि एक ही क्यूआर कोड होना चाहिए।’