भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और महान खिलाड़ी का आज 52वां जन्मदिन है। महाराष्ट्र के पुणे जिले के खड़की जिले में आज ही के दिन 1968 में पिल्लै का जन्म हुआ था। उन्हें हॉकी का कपिल देव भी कहा जाता था।
पिल्लै एक शानदार फॉरवर्ड थे। फुर्ती और विपक्षी टीम को छकाने की कला धनराज को खूब आती थी। उन्होंने भारत के लिए 339 मैच खेले और इनमें 170 गोल किए। धनराज भारतीय हॉकी की महान परंपरा के ध्वजवाहक रहे।
मुफिलसी में शुरुआत, किया भारत का प्रतिनिधित्व
धनराज पिल्लै कुल पांच भाई थे। परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी। उन्होंने लकड़ी के डंडों को हॉकी स्टिक बनाकर खेलना शुरू किया। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 1989 की और 15 साल तक भारत का प्रतिनिधित्व किया। साल 2000 में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने 2000 में पद्मश्री से सम्मानित किया।
इतना लंबा रहा करियर
उन्होंने चार ओलिंपिक (1992, 1996, 2000 और 2004), चार वर्ल्ड कप (1990, 1994, 1998 और 2002), चार चैंपियंस ट्रोफी (1995, 1996, 2002 और 2003) और चार एशियन गेम्स (1990, 1994, 1998 और 2002) में भारत का प्रतिनिधित्व किया। ऐसा करने वाले वह एकमात्र खिलाड़ी हैं।
1998 के एशियन गेम्स और 2003 के एशिया कप विजेता हॉकी टीम की कमान भी धनराज के हाथ में थी। साल 2002 में जब जर्मनी में चैंपियंस ट्रोफी खेली थी तो धनराज प्लेयर ऑफ द टूर्नमेंट रहे थे।
बड़ी टीमें
धनराज पिल्लै ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। वहीं इसके अलावा उन्होंने इंडियन जिमखाना, सेलनगोर एचए, मराठा वॉरियर्स, कर्नाटका लायंस और इंडियंस एयरलाइन का प्रतिनिधित्व किया।