पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन पर रोक लगाने के इनकार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 के कारण ओपन कोर्ट की सुनवाई अभी दूर लग रही है ऐसे में वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस मामले की रोजाना सुनवाई करेगी।
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एलएन राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रवींद्र भट्टा की बेंच ने तमाम पक्षकारों से कहा है कि वह आपस में बैठकर तय करें कि सुनवाई का प्रारूप क्या होगा और कौन से पक्षकार कितना वक्त लेंगे। कोई भी दलील दोहराई नहीं जाएगी। सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट श्याम दिवान ने कहा कि जैसा ये मामला है उसमें ओपन कोर्ट में फिजिकली मौजूद रहकर दलील दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की दरकार है। जो भी पीजी के स्टूडेंट हैं उनके करियर दाव पर है। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि मुद्दा 10 फीसदी रिजर्वेशन आर्थिक तौर पर कमजोर तबके का भी है जिसे सुना जाना चाहिए। बेंच ने कहा कि अगर जरूरी हुआ तो हम सुनेंगे। श्याम दिवान ने कहा कि हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच के फैसले को मानने के लिए बाध्य है। रिजर्वेशन 50 फीसदी के लिमिट को पार नहीं करना चाहिए।
जब वकील एसएम जाघव ने कहा कि इस मामले की सुनवाई वर्चुअल सुनवाई में संभव नहीं लगता तब कोर्ट ने कहा कि आप क्या समझते हैं कि कब कोविड-19 खत्म होगा और कब रेग्युलर कोर्ट शुरू होगा। हम इसी तरह सुनवाई शुरू करना चाहते हैं लेकिन वकील सुनिश्चित करें कि वह दलील को दोहराएंगे नहीं।
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याचिकाकर्ता ने कहा कि मराठा समुदाय को सरकारी नौकरी और एजुकेशन में 12 से 13 फीसदी रिजर्वेशन दिया जा रहा है। और यह सुप्रीम कोर्ट के इंदिरिा साहनी मामले में दिए गए फैसले का उल्लंघन करता है। महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केवियेट अर्जी दाखिल कर कहा था कि मराठा रिजर्वेशन मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अगर कोई अर्जी दाखिल किया जाए तो उसका पक्ष भी सुना जाए।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र में शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठा रिजर्वेशन के संवैधानिक वैधता को सही ठहराया है। 12 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से उस याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा था जिसमें याचिकाकर्ता ने मराठा रिजर्वेशन के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।
मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरी में रिजर्वेशन देने के सरकार के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट ने सही ठहराया था इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने तब हाई कोर्ट के फैसले पर रोक से इनकार कर दिया था।