उन पर अस्थायी रूप से एक साल का प्रतिबंध लगा दिया गया। अग्रवाल ने कहा, ‘भारतीय ऐथलीट के एचजीएच इस्तेमाल (मूत्र के नमूने में पाए जाने) का ही यह पहला मामला नहीं है, बल्कि यह पहली बार है कि खून के नमूने में भी यह पाया गया। हमें सूचना मिली थी कि कुछ खिलाड़ी एचजीएच का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए प्रदीप सिंह उन खिलाड़ियों में शामिल था जिन पर हमने निगाह लगायी (टारगेट टेस्टिंग) हुई थी।’
सिंह के खून के नमूने पिछले साल दिसंबर में टूर्नमेंट के बाहर पटियाला में शिविर के दौरान लिए गए थे और मार्च में आए ए नमूने का नतीजा एचजीएच का पॉजिटिव आया। लेकिन एजेंसी ने बी नमूने की जांच का इंतजार किया और फिर उनकी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। ‘ब्रिटिश जरनल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन’ के अनुसार, ‘ऐथलीट और बॉडीबिल्डर दावा करते हैं कि एचजीएच से वसा कम होती है और मांसपेशियां बढ़ती हैं। अंतरराष्ट्रीय महासंघों और अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति ने 1989 से एचजीएच को निषिद्ध पदार्थों की सूची में डाला हुआ है।’
अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन के शुरू होने के बाद से एजेंसी ने कोई खून के नमूने एकत्रित नहीं किए हैं, क्योंकि राष्ट्रीय डोप परीक्षण प्रयोगशाला निलंबित है। उन्होंने कहा, ‘इस समय हम खून के नमूने एकत्रित नहीं कर रहे हैं क्योंकि यात्रा करना मुश्किल है। इसमें लॉजिस्टिकल मुद्दे हैं।’ अब नमूने विदेशों में विश्व डोपिंग रोधीज एजेंसी से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में भी ही भेजे जाते हैं तो अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्राओं पर मौजूदा प्रतिबंध से खून के नमूने एकत्रित करने में बाधा आती है।