…तो क्या 'खास मिशन' पर आए थे ज्योतिरादित्य सिंधिया?

भोपाल
राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया मंगलावर की सुबह भोपाल पहुंचे थे। एयरपोर्ट से सीधे वह पूर्व सीएम उमा भारती के घर पहुंचे गए थे। उमा भारती के महाराज का भव्य स्वागत हुआ। उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया, सीएम के साथ हाटपिपल्या चले गए। वहां पूर्व सीएम कैलाशी जोशी की प्रतिमा का अनवारण किया। इस मौके पर वह उनकी जमकर तारीफ की है। इन दो दौरे में ही ज्योतिरादित्य सिंधिया का एक मिशन छिपा हुआ है।

सियासी जानकार मानते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के इन दौरों का मकसद और उनका मिशन ही था। दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद से पार्टी के कुछ नेता नाराज चल रहे थे। कैबिनेट विस्तार के बाद उनकी नाराजगी बढ़ गई थी। नाराज लोगों की सूची में दिग्गज से लेकर उपचुनाव वाले क्षेत्रों के नेता शामिल हैं। सोमवार को अपने दौरे के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के 2 दिग्गजों को साधने की कोशिश की है।

उमा भारती थीं नाराज
दरअसल, कैबिनेट विस्तार के बाद पूर्व सीएम उमा भारती ने नाराजगी व्यक्त की थीं। उन्होंने कहा था कि मेरे सुझाव को पार्टी ने दरकिनार कर दिया है। इसे लेकर उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को एक चिट्ठी लिखी थी। उमा नाराज इस बात को लेकर भी थीं कि कैबिनेट में उनके समाज को लोगों को जगह नहीं मिली है। उमा की नाराजगी को दूर करने के लिए कांग्रेस से बीजेपी में आए प्रद्युमन सिंह लोधी को 6 घंटे के अंदर राज्य खाद्यय आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बना दिया गया। साथ ही उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया।

गर्मजोशी के साथ स्वागत
सिंधिया बीजेपी के नेताओं को साधने में लगे हैं। उमा भारती के घर भी वह उसी मकसद से पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि पिछली बार व्यस्तताओं की वजह से मुलाकात नहीं हो पाई थी। बस मिलकर उनसे आशीर्वाद लेने आया हूं। लेकिन उमा ने भी जिस गर्मजोशी से मंत्रोच्चार के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया का तिलक लगा कर स्वागत किया, उससे यह साफ हो गया है कि रिश्तों की मजबूती एमपी की सियासत को नया रास्ता दिखाएगी। साथ ही सिंधिया ने इस मुलाकात के दौरान यह जताने की कोशिश की है कि अब वह बीजेपी की रीति-नीति में ढल गए हैं। सिंधिया ने अपने परिवार के पुराने संबंधों की भी दुहाई दी है। क्योंकि उमा भारती के राजमाता विजयाराजे सिंधिया से अच्छे संबंध रहे हैं। दोनों की मुलाकात के बाद यह तो साफ हो गया है कि अब दूरियां खत्म हो गई हैं।

कैलाश जोशी की भी तारीफ
उमा भारती से मिलने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया, सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ हाटपिपल्या चले गए। वहां सीएम के साथ सिंधिया ने पूर्व सीएम कैलाश जोशी की प्रतिमा का अनावरण किया। साथ ही उन्होंने कैलाश जोशी की तारीफ भी की है। सिंधिया के इस दौरे के भी सियासी मायने हैं। दरअसल, हाटपिपल्या सीट से बीजेपी की तरफ से कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी चुनाव लड़ते थे। 2018 में वह कांग्रेस के मनोज चौधरी से चुनाव हार गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मनोज चौधरी भी बीजेपी में आ गए हैं। ऐसे में वह उपचुनाव होने वाले हैं। बीजेपी की तरफ से तय है कि मनोज चौधरी ही वहां से उम्मीदवार होंगे। ऐसे में दीपक जोशी ने पिछले दिनों नाराजगी व्यक्त की थी और कहा था कि उनके लिए विकल्प खुले हैं। बाद में वह भोपाल आकर पार्टी के नेताओं से मुलाकात की थी। उसके बाद वह पार्टी की बैठकों में शामिल होने लगे थे। अब यह कहा जा रहा है कि सिंधिया दीपक जोशी को ही साधने के लिए हाटपिपल्या गया था। सिंधिया और शिवराज सोमवार को मनोज चौधरी और दीपक जोशी को एक मंच पर लाने में कामयाब हुए हैं।

केपी यादव से भी हो गया है मिलाप
दरअसल, 2019 में लोकसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के केपी यादव से हार गए थे। सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद केपी यादव से कभी बात नहीं हुई थी। पिछले दिनों एक वर्चुअल रैली के दौरान दोनों के बीच की दूरियां खत्म हो गईं। दोनों ने रैली के दौरान कहा कि हम एक हैं और एक-दूसरे की खुलकर तारीफ की है। ऐसे में यह तो साफ है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया संगठन में अपनी एक अलग पहचान कायम करना चाहते हैं और विरोधियों को भी साथ लेकर चलने की कोशिश में लगे हैं।

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