साल 2019 के जुलाई महीने में रंजीत मल्होत्रा ने एक कार खरीदी थी। रंग-बिरंगी यह कार देखने में काफी खूबसूरत है। मेक्सिको के एक कलाकार ने इस कार को खूबसूरत बना दिया है। इस ऐंब्सैडर कार को रंजीत मल्होत्रा ने यूरोपियन यूनियन के दिल्ली स्थिति ऑफिस में काम करने वाले एक शख्स से खरीदा था। दिल्ली में तो कार को एनओसी मिल गई लेकिन पंजाब परिवहन विभाग ने कार के रंग को लेकर आपत्ति जताई। रंजीत मल्होत्रा इसके खिलाफ हाई कोर्ट चले गए। अब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि इस कार का रजिस्ट्रेशन किया जाए। कोर्ट ने इस कार के बेसिक कलर को सफेद मानने का कहा है।
ऐडवोकेट रंजीत मल्होत्रा ने अपनी कार के बारे में बताया- मैंने इसे साल 2019 में दिल्ली के यूरोपियन यूनियन ऑफिस में काम करने वाले एक शख्स से खरीदा था। दिल्ली प्रशासन और परिवहन विभाग से कार को एनओसी भी मिल गई थी। लेकिन चंडीगढ़ परिवहन विभाग ने कार के कलर को लेकर इसका रजिस्ट्रेशन करने से इनकार कर दिया। इसी के चलते हमने हाई कोर्ट में अपील की और अब कोर्ट ने कहा है कि कार के बेसिक रंग को सफेद माना जाए और रजिस्ट्रेशन किया जाए।
रंजीत मल्होत्रा कहते हैं कि इस कार को खरीदने का मुख्य कारण इसमें की गई मेहनत ही थी। इस कार के हर हिस्से को विशेष रंग और थीम के हिसाब से पेंट किया गया है और बेहद आकर्षक लुक दिया गया है। मेक्सिको के रहने वाले सेनकोय नाम के आर्टिस्ट ने इस कार में फूल-पत्तियों से लेकर हर प्रकार की ज्यामितीय आकृतियां बनाई है। इससे पहले भी वह कई गाड़ियों की इसी तरह तैयार कर चुके हैं।
रंजीत मल्होत्रा के मुताबिक, एक परिवहन अधिकारी ने मौखिक रूप से ही कार का रजिस्ट्रेशन ना होने की बात कही। अधिकारी के मुताबिक, कार का रजिस्ट्रेशन इसलिए नहीं हो सकता कि उसका रंग बदला गया है। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद इसके लिए कोई कानूनी स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। आखिर में रंजीत मल्होत्रा को हाई कोर्ट का ही दरवाजा खटखटाना पड़ा।
हाई कोर्ट ने अपनी रोचक टिप्पणी में कहा- 500 साल पहले शेरशाह की बनाई सड़क जीटी रोड पर चलने वाले ट्रकों में कोई भी देख सकता है कि उनके आगे और पीछे शानदार पेंटिंग की गई होती है और कई तरह की बातें और शायरी लिखी गई होती है। जस्टिस जयश्री ठाकुर ने रंजीत मल्होत्रा को राहत दी है और परिवहन विभाग को कहा है कि कार का रजिस्ट्रेशन कर दिया जाए।