नेपाल के विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने अयोध्या पर विवादित बयान को लेकर बुधवार को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की तीखी निंदा की और कहा कि उन्होंने शासन करने का ‘नैतिक और राजनीतिक आधार’ गंवा दिया है। पार्टी ने अयोध्या के बीरगंज में स्थित होने और भगवान राम का जन्म नेपाल में होने संबंधी प्रधानमंत्री की टिप्पणियों को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एनसीपी) और सरकार से आधिकारिक रुख बताने की भी मांग की।
एक बयान में, नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता बिश्व प्रकाश शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री के हालिया बयानों और व्यवहार से पूरी तरह से ‘असहमत’ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ओली ने देश में शासन करने का ‘नैतिक और राजनीतिक आधार’ खो दिया है। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री का बयान सरकार का आधिकारिक विचार है या नहीं, इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए।’
‘जिम्मेदारी-कार्य में कोई तालमेल नहीं’
नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की विकट स्थिति में प्रधानमंत्री की जिम्मेदारियों और उनके कार्यों में कोई तालमेल नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह सीपीएन पर निर्भर है कि वह इस बारे में निर्णय ले कि वह प्रधानमंत्री की सोच, कार्यशैली, अभिव्यक्ति और कामकाज पूरी तरह से बदले या प्रधानमंत्री को ही बदल दे।’ ओली हालिया भारत विरोधी टिप्पणी और निरंकुश कार्यशैली को लेकर अपनी ही पार्टी के अंदर सख्त विरोध का सामना कर रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है।
‘सनक से चला रहे सरकार’
नेपाली कांग्रेस के बयान में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री ओली ने परंपरा, संविधान और संवेदनशीलता को भुला दिया है और अपनी सनक से सरकार चला रहे हैं।’ नेपाली कांग्रेस के युवा नेता और काठमांडू से सांसद गगन थापा ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली ने ऐसे समय में यह बयान अपनी कुर्सी बचाने के लिये जानबूझ कर दिया है, जब सत्तारूढ़ पार्टी के अंदर अंदरूनी कलह जारी है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘राजनीतिक तिकड़म के जरिये कुर्सी बचाने को लेकर जानबूझ कर की गई यह कोशिश है।’
हिंदू युवाओं ने किया प्रदर्शन
इस बीच, हिंदू युवाओं और साधुओं के एक समूह ने जनकपुर में सरकार विरोधी रैली कर ओली की टिप्पणियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने ओली के खिलाफ नारेबाजी की और प्रधानमंत्री से अपना बयान वापस लेने की मांग की। हिंदू परिषद नेपाल के अध्यक्ष मिथिलेश झा ने कहा कि ओली के बयान ने दुनिया भर में करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है।
‘सदियों पुराने संबंधों को पहुंचाया नुकसान’
इसी तरह, रामनंदीय वैष्णवी संघ ने भी ओली की टिप्पणियों का विरोध किया। संगठन ने कहा कि प्रधानमंत्री के बयान ने नेपाल और भारत के बीच सदियों पुराने संबंध को नुकसान पहुंचाया है। विभिन्न दलों से नेपाल के कई शीर्ष नेताओं ने भी बेकार और अप्रासंगिक टिप्पणी करने को लेकर ओली की आलोचना की और उनसे अपना विवादित बयान वापस लेने की मांग की।
‘ओली के बयान ने पार कीं हदें’
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ओली के बयान ने हदें पार कर दी। अतिवाद सिर्फ संकट पैदा करता है।’ उन्होंने अपनी व्यंग्यात्मक टिप्पणी में कहा, ‘अब प्रधानमंत्री ओली से कलयुग का नया रामायण सुनिए।’ एनसीपी के वरिष्ठ नेता बाम देव गौतम ने कहा कि प्रधानमंत्री को अयोध्या पर अपनी विवादित टिप्पणी वापस ले लेनी चाहिए।
सरकार ने दी थी सफाई
सत्तारूढ़ दल की प्रचार समिति के उप प्रमुख विष्णु रिजाल ने कहा, ‘उच्च पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा इस तरह की अप्रासंगिक टिप्पणी देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगी।’ गौरतलब है कि नेपाल सरकार ने मंगलवार को प्रधानमंत्री के बयान के बचाव में सफाई पेश की और कहा कि प्रधानमंत्री ओली के बयान ‘किसी भी राजनीतिक विषय से जुड़े नहीं थे” और उनका इरादा किसी भी तरह से किसी की भावनाओं को ‘आहत’ करने का नहीं था।