प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-यूरोपियन यूनियन समिट () को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और ईयू के बीच दीर्घकालीन रणनीतिक दृष्टि अपनाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के कारण हुए नुकसान के लिए संवेदना प्रकट की। पीएम ने कहा, ‘आज हमारे नागिरकों की सेह और और समृद्धि, दोनों ही चुनौतियों का सामना कर रहें हैं।’ पढ़ें प्रधानमंत्री का पूरा संबोधन…
कोविड-19 के कारण हमें मार्च में इंडिया-ईयू समिट स्थगित करना पड़ा। खुशी है कि अब हम वर्चुअल मीडियम से बातचीत कर रही हैं। सबसे पहले मैं यूरोप में कोरोना वायरस के कारण हुई क्षति के लिए संवेदना प्रकट करता हूं। आपकी तरह मैं भी भारत और यूरोपियन यूनियन के संबंधों को और विस्तृत और गहरा बनाने के लिए प्रतिबद्ध हूं। हमें भारत-यूरोपियन यूनियन को लॉन्ग टर्म स्ट्रैटिजिक प्रॉस्पेक्टिव अपनाना चाहिए। साथ ही, एक ऐक्शन ओरियेंटेड अजेंडा बनाना चाहिए जिसे निर्धारित समय में कार्यान्वित किया जा सके।भारत और ईयू नैचरल पार्टनर हैं। हमारी पार्टनरशिप विश्व में शांति और स्थिरता के लिए भी उपयोगी है। यह वास्तविकता आज की वैश्विक स्थिति में और भी स्पष्ट हो गयी है। हम दोनों ही लोकतंत्र, बहुलतावाद, समावेशिता, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का सम्मान, बहुपक्षवाद, स्वतंत्रता, पारदर्शिता जैसी वैश्विक मूल्यों को साझा करते हैं। आज हमारे नागरिकों की सेहत और समृद्धि, दोनों ही चुनौतियों का सामना कर रहें हैं। आज हमारे नागरिकों की सेहत और समृद्धि, दोनों ही चुनौतियों का सामना कर रहें हैं। कानून आधारित वैश्विक व्यवस्था पर विभिन्न प्रकार के दबाव हैं। ऐसे में भारत-ईयू साझेदारी, आर्थिक पुनर्निर्माण में और एक मानव-केंद्रित और मानवता-केंद्रित वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। तत्कालीन चुनौतियों के अलावा जलवायु परिवर्तन जैसे दीर्घकालिक चुनौतियां भी हम दोनों के लिए ही प्राथमिकता हैं। भारत में नवीकरणीय ऊर्जा (रीन्यूएबल एनर्जी) के उपयोग को बढ़ाने के हमारे प्रयत्नों में हम यूरोप के निवेश और तकनीक को आमंत्रित करते हैं। मैं आशा करता हूँ कि इस वर्चुअल समिट के माध्यम से हमारे सम्बन्धों को गति मिलेगी।