लद्दाख में भारतीय इलाकों में घुसपैठ को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मई में घुसपैठ से कई महीने पहले ही इसके आदेश दिए थे और पूरी तैयारी के बाद चीनी सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की कोशिश की। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा भी था कि शी जिनपिंग ने नए साल की शुरुआत में अपने पहले आदेश में ‘सैन्य प्रशिक्षण’ के लिए सैनिकों की तैनाती का आदेश दिया था।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय इलाकों गलवान घाटी, पेंगांग झील और एलएसी से लगे अन्य इलाकों में चीन के कदम कई महीनों की तैयारी के बाद उठाए गए थे। यह तैयारी शी जिनपिंग के जनवरी में दिए आदेश के बाद की गई। यह तैयारी इतनी रणनीति के साथ की गई कि चीन ने एक साथ कई मोर्चों पर अपने सैनिकों की तादाद बढ़ा दी। इसकी वजह से चीन और भारत के सैनिकों के बीच झड़प हुई और इसमें 20 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे।
‘उच्च स्तर पर समन्वय और प्लानिंग की गई’
भारतीय अधिकारियों का मानना है कि इन घटनाओं का समय यह दर्शाता है कि उच्च स्तर पर समन्वय और प्लानिंग की गई थी। उन्होंने बताया कि चीन की सेना को इस तरह से तैनात किया गया था कि गलवान घाटी और पेंगोंग झील इलाके में भारत को एलएसी से पीछे ढकेल दिया जाए ताकि चीन के आधिकारिक सीमा के साथ इसे जोड़ा जा सके। भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में अल्पकालीन समय के लिए बनाए गए बफर जोन को पेइचिंग के एलएसी के नए दावे के साथ बनाया गया है जिससे एलएसी एक किसी पश्चिम की ओर चली गई है।
पेंगोंग झील इलाके में चीनी सेना भले ही फिंगर 4 से हट गई हो लेकिन वह अभी फिंगर 5 पर जमी हुई है। इससे पहले भारत फिंगर 8 तक गश्त लगाता था। फिंगर 8 से लेकर फिंगर 4 तक की दूरी करीब 8 किमी है। बताया जा रहा है कि शी जिनपिंग के आदेश के बाद जनवरी के अंतिम समय और फरवरी की शुरुआत में पीएलए ने लद्दाख की सीमा से शिनजियांग प्रांत में जमावड़ा शुरू किया। इसे नाम दिया गया कि चीन की सेना युद्धाभ्यास कर रही है।
‘एलएसी के बेहद करीब आकर युद्धाभ्यास शुरू किया’
हर साल के विपरीत चीन की सेना ने इस साल एलएसी के बेहद करीब आकर युद्धाभ्यास शुरू किया। इसकी वजह से अप्रैल महीने से ही चीनी सेना का भारी जमावड़ा हो गया। दरअसल, शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी में शी जिनपिंग ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किया था। इसे ट्रेनिंग मोबिलाइजेशन ऑर्डर नाम दिया गया था। इसमें कहा गया था कि इस ट्रेनिंग का मकसद वास्तविक युद्ध की परिस्थितियों में सेना के प्रशिक्षण को और बेहतर बनाना और ‘उच्च स्तर की तैयारी बनाए रखना’ है।
भारतीय अधिकारियों का मानना है कि चीन ने नाटकीय तरीके से अपने युद्धाभ्यास के तरीके को बदला और न केवल भारत बल्कि जापान, साउथ चाइना सी और ताइवान की सीमा पर भी अपने सैनिकों की तैनाती को बढ़ा दिया। बाद में जापान और ताइवान के साथ भी चीन का तनाव हुआ। सूत्रों के मुताबिक चीन का ‘संघर्ष के साथ ट्रेनिंग’ देने का मकसद यह परखना था कि युद्ध की परिस्थितियों में कमांडरों की प्रतिक्रिया को देखा जा सके। साथ ही ‘एक ही समय में कई मोर्चों पर स्थिति से निपटा जा सके।’ सूत्रों का मानना है कि चीनी सेना का यह दुस्साहस आखिरी नहीं है, अभी इस तरह की और घटनाएं हो सकती हैं।