राजस्थान में मुख्यंमत्री अशोक गहलोत सोमवार को डेप्युटी सीएम सचिन पायलट की बगावत से अपनी कुर्सी बचा ले गए। जयपुर में मुख्यमंत्री आवास पर भारी सस्पेंस के बीच हुई बैठक में गहलोत बहुत से ज्यादा विधायकों की परेड कराने में सफल रहे। विक्ट्री निशान के जरिए गहलोत ने इसे मीडिया के सामने जाहिर किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक में गहलोत खेमे में माने जा रहे एक दर्जन विधायकों समेत 107 विधायक मौजूद रहे। हालांकि, बैठक में पालयट समेत कम से कम 19 विधायक नदारद रहे जो बताता है कि संकट अभी खत्म नहीं हुआ। इस बीच, बैठक के बाद तीन बसों में विधायकों को होटल में ले जाया गया है। बैठक के बाद निकले विधायक विक्ट्री साइन दिखाते हुए रवाना हुए हैं।
विधायकों को होटल ले जाया गया
बैठक के बाद जिस तरह से सभी विधायकों को होटल में सुरक्षित कर लिया गया है, उससे भी साफ है कि फिलहाल तो गहलोत की कुर्सी तो बच गई है, लेकिन पिक्चर अभी बाकी है। राजस्थान में सरकार बचने पर भी यूपी कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी जिस तरह से विप का उल्लंघन करने वाले पायलट को मनाने में जुटी हैं, उससे भी साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस इस संकट का स्थायी समाधान करना चाहती है।
क्या होगा अगर 19 विधायकों ने इस्तीफा दिया?
वैसे तो सचिन पायलट कैंप 25 से 30 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है। लेकिन सोमवार दोपहर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इतने तो नहीं लेकिन कम से कम 19 एमएलए शामिल नहीं हुए। अगर मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान कांग्रेस में भी ‘बागी’ विधायक इस्तीफा देते हैं तो विधानसभा की स्ट्रेंथ 200 से घटकर 181 हो जाएगी। ऐसे में बहुमत के लिए कम से कम 91 सीटों की जरूरत होगी।
बीजेपी के पास क्या है गणित?
बीजेपी के पास 72 सीटें हैं और 3 सीटें उसकी सहयोगी आरएलपी के पास 3 सीटें हैं। ऐसी सूरत में गहलोत निर्दलीयों और छोटे दलों की मदद से गहलोत अपनी सरकार आसानी से बचा सकेंगे। एमपी की तरह बीजेपी राजस्थान में तभी सरकार बना पाएगी जब कम से कम 25-30 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के साथ उसे निर्दलीय और छोटे दलों को भी साधने में कामयाबी मिले।
नरम हुए पायलट के तेवर?
रात ढाई बजे जब कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तब विधायकों को सख्त लहजे में चेतावनी दी कि विधायक दल की बैठक में न आने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी, पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। हालांकि, जब दिन में रणदीप सुरजेवाला मीडिया से मुखातिब हुए तो सुलह की भाषा बोलते हुए कहा कि पायलट समेत सभी विधायकों के लिए कांग्रेस के दरवाजे पहले भी खुले थे, अब भी खुले हैं और आगे भी खुले रहेंगे।
अब मीडिया में ऐसी भी रिपोर्ट्स आ रही है कि सचिन पायलट के तेवर भी नरम हुए हैं। अब वह भी सुलह चाहते हैं, इसके संकेत मिल रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक वह अपने कुछ चहेते विधायकों को मंत्री बनाने और कुछ अहम मंत्रालयों को अपने लोगों को दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा खुद को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर बरकरार देखना चाहते हैं। इस बीच प्रियंका गांधी वाड्रा के भी दखल देने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि प्रियंका पायलट और गहलोत दोनों से बात कर रही हैं और संकट का हल निकालने के लिए सक्रिय हो चुकी हैं।