भारतीय टीम ने 13 जुलाई 2002 को के फाइनल में इंग्लैंड को हराया था। टीम इंडिया ने 326 के लक्ष्य को हासिल किया था। दो विकेट से मिली यह जीत भारतीय टीम के इतिहास में काफी मायने रखती है। यह जीत इस लिहाज से भी काफी अहम हो जाती है कि इसमें युवा खिलाड़ियों ने सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सचिन तेंडुलकर जब आउट होकर पविलियन लौटे तो भारत का स्कोर पांच विकेट पर 146 रन था। ऐसे में और ने मिलकर भारत को संकट से उबारा। युवराज के आउट होने के बाद भी कैफ जमे रहे और भारत को जीत दिलाकर ही लौटे। युवराज और कैफ के बीच 121 रनों की पार्टनरशिप हुई थी। युवराज के आउट होने के बाद हरभजन सिंह ने कैफ का अच्छा साथ दिया और सातवें विकेट के लिए 47 रन जोड़े। मोहम्मद कैफ ने नाबाद 87 रन बनाए। कैफ फाइनल में मैन ऑफ द मैच बने।
आज भी याद है वह जीत
18 साल बाद भी कैफ को वह जीत याद है। वह कहते हैं, ‘उस जीत ने भारतीय क्रिकेट को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया। उस जीत ने बताया कि हम बड़े स्कोर का पीछा कर सकते हैं। इस जीत ने बताया कि हम बड़े फाइनल जीत सकते हैं। भारतीय फैंस इस मैच को इसलिए याद करते हैं क्योंकि 1983 के वर्ल्ड कप फाइनल की जीत के बाद यह लॉर्ड्स पर भारत की सबसे बड़ी जीत थी।’
कैफ ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के साथ खास बातचीत में उस मैच को याद करते हुए कहा, ‘मुझे इस मैच की एक और खास इमेज याद है। जब मैं इलाहाबाद लौटा तो मुझे खुली जीप पर ले जाया गया। मेरे घर का पांच-छह किलोमीटर का सफर तय करने में मुझे करीब तीन-चार घंटे का वक्त लगा।’
दोनों ओर लोग हार लेकर खड़े थे
इलाहाबाद के रहने वाले कैफ कहते हैं जब वह स्टेशन से बाहर निकले तो सड़क के दोनों ओर लोग फूल-मालाएं लेकर खड़े हुए थे। उन्होंने कहा, ‘लोग नारे लगा रहे थे। जब मैं छोटा था तो मैंने को चुनाव जीतने के बाद अपने गृह नगर (इलाहाबाद) में यूं खली जीप में घूमते देखा था। उस दिन, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं अमिताभ बच्चन हूं।’