दुनिया के महान बल्लेबाज () बल्लेबाजों के प्रति और सख्त रवैया रखने के पक्षधर बन रहे हैं। तेंडुलकर ने आईसीसी को सलाह दी है कि वह LBW के लिए मांगे गए DRS पर अपने नियम में बदलाव करे। सचिन ने कहा है कि अगर कैमरे में गेंद यह दर्शा रही है कि वह स्टंप को छू कर निकलेगी, तो फिर बल्लेबाज को आउट ही दिया जाना चाहिए।
फिलहाल LBW के लिए DRS प्रणाली में जो नियम है उसके अनुसार अगर अंपायर ने बल्लेबाज को आउट नहीं दिया है और विपक्षी टीम ने इस पर DRS मांगा है तो अंपायर का निर्णय तभी बदला जा सकता है, जब कम से कम गेंद का 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा स्टंप को छू रहा हो। अगर ऐसा नहीं है तो निर्णय अंपायर्स कॉल ही रहता है।
मास्टर ब्लास्टर ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, ‘अगर गेंद स्टंप पर लग रही है तो फिर यह मायने नहीं होना चाहिए कि वह 50 फीसदी टच है, या इससे कम। अगर डीआरएस दर्शा रहा है कि गेंद स्टंप पर लगेगी, तब इसे आउट ही दिया जाना चाहिए।’
इस वीडियो में सचिन दुनिया के दूसरे महान बल्लेबाज वेस्ट इंडीज के पूर्व कप्तान से डीआरएस प्रणाली पर चर्चा कर रहे हैं।
लारा से बात करते हुए सचिन ने कहा, ‘आईसीसी से मैं एक बात पर सहमत नहीं हूं, वह डीआरएस है, जिसे वह अब काफी समय से इस्तेमाल कर रहे हैं। यह LBW डिसीजन को लेकर है, जहां मैदानी अंपायर का निर्णय बदलने के लिए गेंद स्टंप्स पर 50 फीसदी से ज्यादा टकराती दिखनी चाहिए।’
100 अंतरराष्ट्रीय शतक जमाने वाले सचिन ने कहा, ‘जब कोई निर्णय समीक्षा के लिए अंपायर के पास जाता है, तो फिर टेक्नोलॉजी को ही अपना काम करने दीजिए। जैसे टेनिस में होता है। यहां अंदर या बाहर सिर्फ दो चीजों को परखा जाता है। इसके बीच में कुछ और नहीं है।’
अभी डीआरएस पर कोई निर्णय जब अंपायर्स कॉल पर जाता है और तब करीबी मामलों में रिव्यू लेने वाली टीम का रिव्यू जाया नहीं होता। लेकिन बल्लेबाज को भी आउट नहीं दिया जाता। वहीं जब बल्लेबाज रिव्यू मांगता है और यहां भी मामला करीबी होने पर बैटिंग टीम का रिव्यू बरकरार रहता है।