हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र समर्थकों ने सप्ताहांत पर दो दिवसीय एक अनाधिकारिक प्राइमरी चुनाव का आयोजन किया जिसमें मत देने के लिए लाखों लोग अपने घरों से बाहर निकले। लोकतंत्र समर्थक खेमा कुछ महीनों में होने वाले विधायिका के चुनावों में उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।
चीनी कानून के बाद लोग हुए ज्यादा मुखर
चीन की ओर से अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के करीब दो हफ्ते बाद यह चुनाव हो रहे हैं। चीन के इस कदम को एक देश दो व्यवस्था को खत्म करने के तौर पर देखा जा रहा है। इसी रूपरेखा के तहत ब्रिटेन ने 1997 में चीन को हॉन्ग कॉन्ग सौंपा था। यह कानून पिछले साल के प्रदर्शनों के मद्देनजर पारित किया गया है। ये प्रदर्शन ज्यादा लोकतंत्र तथा पुलिस की अधिक जवाबदेही को लेकर हुए थे।
हॉन्ग कॉन्ग के मंत्री की चेतावनी को किया अनदेखा
हॉन्ग कॉन्ग के संवैधानिक मामलों के मंत्री एरिक सांग की पिछली हफ्ते दी गई चेतावनी के बावजूद इस चुनाव का आयोजन किया गया और गर्मी होने के बावजूद लोग बड़ी संख्या में वोट करने के लिए मतदान केंद्र पहुंचे तथा कतारों में खड़े हुए। सांग का कहना था कि प्राइमरी चुनाव नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का उल्लंघन कर सकता है। आयोजकों ने उनकी टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा कि वे विधायिका में बहुमत हासिल करके सरकार को जवाबदेह बनाना चाहते हैं।
इसलिए लोकतंत्र समर्थकों ने आयोजित किया मतदान
शुक्रवार को पुलिस ने पब्लिक ऑपिनियन रिसर्च इंस्टीट्यूट के दफ्तर पर छापा मारा। यह संस्थान प्राइमरी चुनाव की सह आयोजक है। हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र समर्थकों के धड़े में कई पार्टियां भी शामिल हैं । वे प्राइमरी का इस्तेमाल कर सितंबर में होने वाले आधिकारिक चुनाव में बेहतरीन उम्मीदवार उतारने की कोशिश में है। उनका मकसद बहुमत हासिल करने का है। आमतौर पर विधायिका का झुकाव बीजिंग समर्थक खेमे की ओर होता है।
6 लाख लोगों ने डाला वोट
आयोजकों ने रविवार को बताया कि शहर भर में स्थापित किए गए मतदान केंद्रों में करीब छह लाख लोगों ने वोट डाला। यह आयोजकों के 1.70 लाख के अंदाजे से काफी ज्यादा है। प्राइमरी के आयोजको में शामिल ओ नोक हिन ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धमकी के बावजूद करीब छह लाख लोग वोट डालने के लिए घरों से निकले।