नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी में जारी राजनीतिक घमासान को शांत करवाने की कोशिश में जुटा चीन फेल होता दिखाई दे रहा है। चीनी राजदूत के प्रधानमंत्री और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के साथ बैठकें करने का भी कोई लाभ होता दिखाई नहीं दे रहा है। प्रचंड ने पार्टी को तोड़ने के प्रयास को लेकर पीएम ओली पर फिर इशारों में निशाना साधा है। उन्होंने पीएम ओली का सीधे नाम न लेते हुए कहा कि पार्टी की एकता को कमजोर करने की किसी भी जगह से कोई भी कोशिश लोगों के हित में नहीं होगी और यह कोरोना वायरस महामारी तथा प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ लड़ाई को नुकसान पहुंचाएगी।
ओली की कुर्सी बचाने के लिए चीनी राजदूत सक्रिय
नेपाली अखबार काठमांडू पोस्ट के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में चीन की राजदूत हाओ यांकी ने राष्ट्रपति बिद्या भंडारी, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैंन पुष्प कमल दहल, वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनल से मुलाकात की है। वह भी तब जब पीएम ओली पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बढ़ता ही जा रहा है। बताया जा रहा है कि पुष्प कमल दहल प्रचंड, झालानाथ खनल समेत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के 44 में से 30 सदस्यों ने 30 जून को ओली को पीएम पद और पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था।
कोरोना के खिलाफ लड़ाई पर यह बोले प्रचंड
जिला आपदा प्रबंधन समिति चितवन की एक बैठक को संबोधित करते हुए प्रचंड ने कहा कि राजनीतिक गतिविधियों को कोरोना संकट और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया को प्रभावित नहीं होने देना चाहिए। द राइजिंग नेपाल ने प्रचंड के हवाले से लिखा कि पार्टी की एकता को कमजोर करने की किसी भी स्थान से कोई भी कोशिश लोगों के हित में नहीं होगी। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों, नागरिक संस्थाओं, मीडिया और अन्य से कोरोना संकट तथा प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होने का आह्वान किया।
प्रचंड ने मांगा पीएम ओली का इस्तीफा
उल्लेखनीय है कि प्रचंड सहित नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के शीर्ष नेताओं ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा है कि उनकी हालिया भारत विरोधी टिप्पणी ना तो राजनीतिक रूप से सही थी, ना ही कूटनीतिक रूप से उचित थी। हाल के दिनों में ओली और प्रचंड ने एक-दूसरे के साथ आधा दर्जन से अधिक बैठकें की हैं लेकिन दोनों नेता सत्ता साझेदारी के करीब कहीं से भी नहीं पहुंच पाये हैं।
ओली और प्रचंड के खेमें में बटी पार्टी
ओली और प्रचंड के बीच बैठकें होने के विषय पर सत्तारूढ़ पार्टी बंटी हुई नजर आ रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मुद्दे को लंबे समय तक खींचने से किसी का फायदा नहीं होगा। ओली के भविष्य पर फैसला करने के लिये शुक्रवार को पार्टी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की बैठक होने वाली थी। लेकिन बाढ़ एवं भूस्खलन में कम से कम 22 लोगों की मौत को लेकर इसे आखिरी क्षणों में हफ्ते भर के लिये टाल दिया गया।
पार्टी नेताओं ने विवाद बढ़ने पर जताई नाराजगी
एनसीपी नेता अष्ट लक्ष्मी शाक्य ने कहा कि प्रतिकूल मौसम के खतरे को ध्यान में रखते हुए बैठक को एक हफ्ते के लिये टाला जाना ठीक है। लेकिन ओली को सात दिनों बाद इस मुद्दे का हल करने के लिये तैयार रहना चाहिए। द हिमालयन टाइम्स की खबर के मुताबिक उन्होंने कहा कि मुद्दे को लंबे समय तक खींचने से किसी का फायदा नहीं होगा और इसका मतलब यह होगा कि मतभेद उभरते रहेंगे। शाक्य ने कहा कि ओली और प्रचंड के बीच आपसी बैठक से पार्टी की आंतरिक कलह को दूर करने में मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री कुछ मुद्दों पर स्थायी समिति के सभी सदस्यों के समक्ष चर्चा करने में सहज महसूस नहीं कर रहे हैं तो वह तीन-चार नेताओं सहित दोनों खेमों के प्रतिद्वंद्वी खेमों के साथ इन मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं या पार्टी सचिवालय में भी वे मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन दोनों सह-अध्यक्षों को मुद्दों पर आपस में चर्चा नहीं करनी चाहिए।
बातचीत के जरिए विवाद कम करने का प्रयास
स्थायी समिति के सदस्य मणि थापा ने कहा कि ओली का यह बयान कि वार्ता के जरिये आंतरिक मतभेद दूर किए जा सकते हैं, वह इस बात का संकेत है कि प्रधानमंत्री और प्रचंड के बीच मतभेद घट रहे हैं। ओली की कुर्सी बचाने के लिये नेपाल में नियुक्त चीनी राजदूत होउ यानकुई की सक्रियता बढ़ने के बीच ओली के राजनीतिक भविष्य पर अब 17 जुलाई को स्थायी समिति की बैठक में फैसला होने की उम्मीद है।